गोरखपुर

हज़रत जुनैद व इमाम अबू युसूफ को याद किया गया

गोरखपुर। शुक्रवार को चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर व सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाजार में हज़रत सैयदना शैख़ अबुल क़ासिम जुनैद बग़दादी अलैहिर्रहमां व हज़रत सैयदना इमाम अबू युसूफ हनफी अलैहिर्रहमां का उर्स-ए-पाक अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया। कुरआन ख्वानी व फातिहा ख्वानी की गई।

चिश्तिया मस्जिद के इमाम हाफिज महमूद रज़ा कादरी ने कहा कि हज़रत जुनैद बग़दादी की पैदाइश 218 हिजरी में बगदाद में हुई। वालिद का नाम मोहम्मद बिन जुनैद था। आपका घराना इल्मी था। आपके मामू हज़रत शैख़ सिर्री सकती मशहूर बुजुर्ग शख्सियत थे। आपने हज़रत शैख़ सिर्री सकती, हज़रत अबू उबैद व हज़रत अबू अली सौर से तालीम हासिल की। बीस साल की उम्र में फतवा देना शुरू किया। आप बहुत बड़े वली, आलिम, शरीयत व सुन्नत के पाबंद थे। पूरी जिंदगी दीन-ए-इस्लाम का प्रचार करने में गुजार दी। आपका निधन 27 रजब 298 हिजरी में जुमा के रोज हुआ। आपका मजार शेनीज़, बगदाद (इराक) में है।

सब्जपोश हाउस मस्जिद के इमाम हाफिज रहमत अली निज़ामी ने कहा कि हज़रत अबू युसूफ की पैदाइश 113 हिजरी में कूफा (इराक) में ही हुई। तालीम व तरबियत कूफा में ही हुई। आप इमामे आज़म अबू हनीफा के शागिर्द थे। आप फिक्ह के बहुत मशहूर व मारूफ इमाम हैं। इल्मो हिकमत, सियासत व मंजलत में कोई आपका हम पाया न था। आप हदीस के दरिया थे। आप बहुत बड़े आलिम व इबादतगुजार थे। आपने इल्म को आम किया। हनफियत को दुनिया के हर कोने तक पहुंचाया। आपके शागिर्दों में इमाम मोहम्मद, इमाम अहमद बिन हबंल जैसी अज़ीम शख्सियत का शुमार होता है। आप दुनिया-ए-इस्लाम के पहले चीफ जस्टिस थे। आपका निधन 182 हिजरी में हुआ। आपका मजार बगदाद (इराक) में है। आपकी ख़िदमात पर आलमे इस्लाम को फख़्र है।

अंत में सलातो सलाम पढ़कर अमनो अमान की दुआ मांगी गई। शीरीनी तकसीम की गई। उर्स में हाफिज़ सैफ अली, महबूब आलम, हाफिज आमिर हुसैन निज़ामी, अबू बक्र, गुलाम जीलानी, हाफिज सद्दाम, मुजम्मिल रज़ा, इमरान, इमाम हसन, मुख्तार खान, मो. जैद, मो. रूशान, आसिफ रज़ा, रहमत अली अंसारी, साद अहमद, अजहर अली, फुजैल, फैजान, चांद अहमद, नेसार अहमद, शहाबुद्दीन, सलीम आदि मौजूद रहे।

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