बेनीगंज ईदगाह में मेराज-ए-मुस्तफा जलसा हुआ
गोरखपुर। अल बरकात व बेनीगंज ईदगाह रोड मस्जिद की ओर से ईदगाह बेनीगंज में शुक्रवार को अजमते मेराज-ए-मुस्तफा जलसा हुआ। तसनीम अज़ीज, इफ्रा खातून, अलीजा खातून, रेशमा खातून, जोया महमूद, दरख्शां खातून, परवीन फातिमा, रौशनी खातून, हरीम, मो. फैसल, मो. अनस, मो. जोहैब, शहनूर फातिमा आदि बच्चों ने किरात, नात, तकरीर आदि के जरिए अपनी प्रतिभा दिखाई। जलसा संयोजक कारी मो. शाबान बरकाती, हाजी खुर्शीद व इकरार अहमद ने बच्चों को इनाम व दुआओं से नवाज़ा।
इसके बाद अजमते मेराज-ए-मुस्तफा जलसे में मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी (मुफ्ती-ए-शहर), कारी अफ़ज़ल बरकाती, कारी आबिद अली निज़ामी, मौलाना मो.जिब्राइल आदि उलेमा-ए-किराम ने शब-ए-मेराजुन्नबी के फजाइल बयान किए। कहा कि दीने इस्लाम ने नाप तोल में कमी, सूद, रिश्वत, जुआ, शराब और दूसरी नशे वाली चीज़ों को हराम क़रार दिया है, ताकि इन हलाक करने वाली बीमारियों से बचकर एक अच्छे व पाक साफ़ समाज को वजूद में लाया जा सके। दीन-ए-इस्लाम में झूट, ग़ीबत, बुरी बात, किसी शख़्स को गाली या धोखा देना, तकब्बुर, फु़ज़ूलख़र्ची जैसी आम बुराइयों को ख़त्म करने की ख़ुसूसी तालीमात दी गई है। समाज के नासूर यानी दहेज़ के लेन देन के बजाये सादगी के साथ निकाह करने की तरग़ीब दी है। दीन-ए-इस्लाम हर शख़्स के सामान की हिफ़ाज़त करता है, चुनांचे चोरी, डकैती या किसी के माल को नाहक़ लेने को हराम करार दिया है। दीन-ए-इस्लाम गरीबों, मिस्कीनों और ज़रूरतमंदो का पूरा ख़याल रखता है, चुनांचे मालदारों पर ज़कात व सदक़ात को वाजिब करने के साथ यतीम और बेवाओं की किफ़ालत करने की बार-बार तालीम दी गई। दीन-ए-इस्लाम ने ज़कात का ऐसा निज़ाम क़ायम किया है कि दौलत चन्द घरों में सिमट कर न रह जाये। ग़रीब लोगों के ग़म में शरीक होने के लिये रोज़े फ़र्ज़ किये, ताकि भूख प्यास की सख़्ती का एहसास हो। अल्लाह तआला की अज़ीम नेमतों जैसे पानी आग और हवा की क़द्र करने की तालीम दी गई।
कुरआन-ए-पाक से तिलावत का आगाज हुआ। नात-ए-पाक पेश की गई। जलसे में मो. शमीम, मो. यूनुस, अकबर अली, बब्लू ‘सलीम’, मो. नदीम, मो. असलम, मो. फिरोज, मो, इब्राहिम, असगर अली, समीउल्लाह, अब्दुर्रहीम, अबरार अहमद, इसरार अहमद, अच्छू खान, काजी हसीबुल हसन आदि मौजूद रहे।