गोरखपुर

पैगंबरे इस्लाम पूरी दुनिया के लिए रहमत बनकर तशरीफ लाए: मौलाना निजामुद्दीन

गोरखपुर। मोहम्मदपुर जमुनहिया बाग गोरखनाथ में मंगलवार को जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी हुआ। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। नात-ए-पाक पेश की गई।

मुख्य वक्ता मौलाना निजामुद्दीन नूरी ने आखिरी पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िंदगी व सीरत पर रौशनी डालते हुए कहा कि दीन-ए-इस्लाम का असली मिशन तौहीद, अमन, मोहब्बत व शांति है। दीन-ए-इस्लाम हमें अपने वतन से मोहब्बत का पैग़ाम देता है। किसी भी मुल्क का विकास अमन, भाईचारे व आपसी प्रेम के माहौल में ही हो सकता है। पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बताई राह पर चलकर ही मुल्क, कौम और समाज को खुशहाल बनाया जा सकता है। पैग़ंबरे इस्लाम ने हमेशा अपने किरदार व व्यवहार से इंसान को शिक्षा दी कि सभी इंसान अल्लाह के बंदे हैं। पैगंबरे इस्लाम पूरी दुनिया के लिए रहमत व रहनुमा बनकर तशरीफ लाए। ईद मिलादुन्नबी की खुशियों में सबको शामिल करें। पैग़ंबरे इस्लाम की तालीमात आम करें।

विशिष्ट वक्ता कारी मो. जुलकरनैन ने कहा कि ईद मिलादुन्नबी पर अर्श से लेकर फर्श तक खुशियां मनाई जाती है। जुलूस-ए-मोहम्मदी के दौरान ऐसा कोई काम न करें जिससे किसी को भी जर्रा बराबर तकलीफ हो। जुलूस को अमन, अदब व एहतराम से निकालेें।हलाल रिज्क कमाएं। हराम से सख्ती के साथ बचें। पैग़ंबरे इस्लाम की तालीम को खुद अपनाएं दूसरों तक पहुचाएं। बुराई से बचने की कोशिश करें। पैग़ंबरे इस्लाम के साहाबा, अहले बैत, ताबईन, तबे ताबईन, औलिया, उलमा ने पैगंबरे इस्लाम के नक्शेकदम पर चलकर इंसानों को तौहीद व हक़ की राह दिखाई।

अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो सलामती की दुआ मांगी गई। जलसे में मो. हसन रजा, शमीमुल कादरी, मुनाजिर हसन, नज़ीर अहमद, हाफिज मो. आरिफ रजा, मो. हसनैन नूरी, शकील कादरी, नसीमुल कादरी, आसिफ कादरी, अकील अहमद, मो. हुसैन, मो. इब्राहीम, सैफ अली, फहीम अहमद, शमी अहमद आदि मौजूद रहे।

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