जीवन चरित्र धार्मिक

मेराज ए मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (1)

लेखक: मह़मूद रज़ा क़ादरी, गोरखपुर

मस्जिद ए हराम से मस्जिदे अक्सा तक सैर(सफर) को असरा और वहां से आगे ला मकां तक की सैर( सफर)को मेराज से ताबीर किया गया है कुरान मजीद में पहले हिस्सा का जिक्र सुरह बनी इसरायल में जबकि दूसरे हिस्से का जिक्र सुरह नज्म में है असरा का जिक्र इन अल्फाज़ में है।
سبحان الذی اسریٰ بعبدہ لیلا من المسجد الحرام الی المسجد الاقصی الاقصی الذی بارکنا حولہ لنریہ من اٰیاتنا انہ ھو السمیع البصیر
(सुरह बनी इसरायल पारा न. 15)

शाने नजू़ल

इमाम ए अबू हयान अन दलेसी रक्म तराज़ हैं जब हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मस्जिद ए हराम से मस्जिद एअक्सा तक जाना बयान किया और कुफ्फार ने उसकी तकजी़ब (झुठलाई) की, तो अल्लाह तआला ने ये आयत ए करीमा नाजील़ फरमाई!

तसबीह की शुरूआत

इस सुरत का आगाज़ तसबीह से शुरू करने की हिकमतें ये हैं ।

1 कुरान मजीद लोगों के मुहावरा के मुताबिक नाज़िल हुआ है। ताकि वह इसके हकीकत को अच्छी तरह जान सकें चूंकि लोग अम्रे अजीब चीज़ देखने सुनने पर तसबीह करते हैं जैसे जब कोई कुदरत का शाहकार (निशानी)देखते हैं तो पुकार उठते हैं। सुबहानल्लाह तो अल्लाह तआला ने अपने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मेराज अता करके मखलूक (लोगों) मुतजिब (सोचने पर)कर दिया।

2 जब कुफ्फार ने इनकार करते हुए इस बात में आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को झुठा करार देने की कोशिश की तो अल्लाह तआला तरदीद(काफिरों की मुखालफत) की فیکون المعنی تنزہ اللہُ تعالیٰ ان یتخذ رسولا کذابا
[زادالمسیر]
तो अब माना ये होगा कि अल्लाह ताला इस बात से पाक है कि किसी झूठे शख्स को अपना रसूल बनाए।

3 यहां बयान ऐसी चीज का है। जिसे इंसानि दिमाग कुबूल नहीं करती इसलिए अल्लाह ताला ने अपनी शान का इजहार फरमाया कि जो जात सैर ( सफर) करवाने वाली है। वह कादिर ए मुतल्क है। (यानी हमेशा रहने वाली है।) और हर किस्म के नुक्स और कमजोरी से पाक बे नेयाज़ है।

लफ्जे़ सुबहान की तहकीक

इमाम ए हाकिम ने हजरत ए तलहा रजियल्लाहु अन्हो से नकल किया है। कि रसूल अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सुबहानल्लाह का मफहूम पुछा गया तो आप ने फरमाया تنزبہ اللہ من کل سوء
अल्लाह तआला का हर एैब से पाक होना- (अल मुस्तदरक)

फजिलते तसबीह

तस्बीह की फजीलत पर कई रिवायत हैं इनमें से कुछ का जिक्र करते हैं।

1 हजरत ए अबूजर रजिल्लाहु अन्हो से है। कि रसूल अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया तुम्हें बताऊं अल्लाह ताला को सबसे ज्यादा महबूब कलिमाता कौन से हैं। फिर फ़रमाया ان احب الکلام الی اللہ سبحان اللہ وبحمدہ
अल्लाह तआला को सबसे प्यारे कलिमात सुबहानल्लाहे व बेहम देही हैं । (मुस्लिम शरीफ)

2 दुसरी रिवायत में है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पुछा गया कौन से कलिमात सबसे अफजल है।? आप ने फरमाया
مااصطفی اللہ لعبادہ سبحان اللہ وبحمدہ
जो कलिमात अल्लाह तआला ने अपने बंदों के लिए चुने वह सुबहानल्लाहे व बेहम देही है।

3 हजरत ए अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हो से मरवी है। कि रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जिसने दिन में सौ (100)बार सुबहानल्लाहे बेहम देही पढ़ा
उसके गुनाह माफ कर दिए जाएंगे अगर चे वह समंदर कि झाग(गहराई) के मान नींद हों
(मुस्लिम शरीफ)

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