किशोर कुमार की पैदाइश आज से 94 साल पहले
खंडवा के बॉम्बे बाजार के गौरी कुंज में 4 अगस्त 1929 इतवार के दिन हुई थी। आप इंदौर में जन्मी लता मंगेशकर से सिर्फ 1 महीने बड़े थे।
किशोर कुमार हरफनमौला कलाकार थे।
खंडवा में शुरुआती पढ़ाई करने के बाद इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज में एडमिशन लिया। यही हॉस्टल में 3 साल से ज्यादा रहे। जब देश आजाद हुआ उस दिन किशोर कुमार इंदौर में ही थे।
किशोर कुमार का अटूट खंडवा प्रेम जग जाहिर है…
आखरी वक्त खंडवा में बसने की
जिद कर बैठे थे किशोर कुमार। मरने से महज कुछ अरसा पहले 1987 में आखरी बार खंडवा आए थे।
शायद बसने से पहले घर देखने आए हो। लेकिन ये सफर उनका आखरी खंडवा सफर था।
इंतकाल के बाद उनका जिस्म जरूर यहां लाया गया।
आखरी ख्वाहिश के मुताबिक खंडवा में ही उनका अंतिम संस्कार हुआ। ऐसी मोहब्बत थी किशोर कुमार को अपने शहर खंडवा से…..
बहुत किस्मत वाले होते हैं वो लोग जो अपनी जन्मभूमि से बेपनाह मोहब्बत रखते है। अपने शहर से , अपनी गली से , अपने घर से बेपनाह मोहब्बत करने वाले बिरले शख्स थे हिंदी फिल्मों के बेजोड़ एक्टर , सिंगर और डायरेक्टर किशोर कुमार…..
मधुबाला जैसी खूबसूरत हिरोइन के शौहर।
अशोक कुमार जैसे लीजेंड के छोटे भाई….
शशधर मुखर्जी जैसे फिल्म निर्माता के साले साहब….
किशोर कुमार को अपने वतन खंडवा से बहुत लगाव था।
खंडवा में गुजारे अपने बचपन के दिनों को वो आखरी दम तक नहीं भूले। हर दम खंडवा को याद करते रहते थे।
बंबई में सबसे कहते फिरते मैं किशोर कुमार खंडवा वाला हूं।
मस्ती मजाक करते और अक्सर गुनगुनाते
दूध जलेबी खायेगे~खंडवा में बस जायेगे….
1987 में लगभग फिल्मों से संन्यास का मुड़ बनाकर अपने वतन खंडवा में बसने का इरादा करने वाले किशोर कुमार ने इंतकाल से कुछ अरसे पहले इंटरव्यू सिर्फ इस शर्त पर दिया कि इंटरव्यू फकत लता मंगेशकर करेगी।
जाहिर सी बात है।
लता दीदी ने कभी किसी का इंटरव्यू नहीं लिया था लेकिन वो अपने साथी और हम वतन किशोर कुमार का इंटरव्यू लेने के लिए खुशी~खुशी राजी हो गई।
लता ने इंटरव्यू के दौरान किशोर कुमार से पूछा_
आप फिल्म इंडस्ट्री छोड़ देंगे तो क्या गाना~वगैरह भी नहीं गाएंगे।
जवाब में किशोर ने कहा_ लता मैं चैरिटी शो जरूर करूंगा जैसे तुम करती हो। तुम बुलाओगी तो मैं जरूर आऊंगा। अपने चाहने वालों के लिए मैं चैरिटी शो जरूर करूंगा।
इस इंटरव्यू में किशोर कुमार ने बंबई नगरी छोड़कर खंडवा में बस जाने का भी जिक्र किया।
जब लता ने पूछा किशोर अब आपको ऐसा लगता है कि आप बहुत खुश है?
उन्होंने भावुक होकर कहा
भगवान की दया से अब मुझे कुछ नहीं चाहिए।अब सिर्फ इतना चाहिए कि जितनी जल्दी हो सके यहां से भाग जाऊं अपने घर (खंडवा) की तरफ वो मुझे बुला रहा है। हाथ उठाकर बुला रहा है।*
चल रे मुसाफिर चल रे , अब अपने घर को चल रे…….
खंडवा के बेटे हरफन मौला किशोर कुमार की आखरी ख्वाहिश मरने के बाद ही पूरी हुई जब उनका खंडवा की सरजमीन पर अंतिम संस्कार हुआ ।
अपन इंदौरी का खंडवा वाले को सलाम!!
✍️ जावेद शाह खजराना (लेखक)
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