गोरखपुर जीवन चरित्र

7वें मुग़ल बादशाह जिनके नाम से 100 साल तक गोरखपुर का नाम मुअज़्ज़माबाद रहा

आज ही के दिन 27 फ़रवरी 1712 को 7वें मुग़ल बादशाह बहादुर शाह (मुअज़्ज़म) का इंतक़ाल लाहौर में हुआ। इंतक़ाल के बाद उन्हें दिल्ली लाया गया। दिल्ली के महरौली में हज़रत बख्तियार काकी रहमतुल्लाह अलैह के पास उन्हें दफ़न किया गया।

मुग़ल बादशाह हज़रत औरंगजेब अपने पीछे वक़्त की सबसे बड़ी सल्तनत छोड़ कर गए थे। जिसे उनके बेटे मुअज़्ज़म सम्भालने में नाक़ामयाब रहे। मुअज़्ज़म एक अच्छे इंसान थे लेकिन वह अपने वालिद औरंगजेब की तरह तेज तर्रार नही थे ना तो जंग के मैदान में और ना ही रणनीति बनाने में।

औरंगजेब के वफ़ात के बाद, क़ाबुल से लेकर म्यांमार तक फैली मुग़ल सल्तनत में बग़ावत शुरू हुई, अफ़ग़ान, सिख, राजपूत, बीजापुर, बंगाल और कई बड़ी रियासतों के राजाओं और नवाबों ने बग़ावत करके मुग़ल सल्तनत से अलग हो गए। जबकि बादशाह मुअज़्ज़म विरोधियों को सम्भालने में नाकामयाब रहे।

हालांकि उन्होंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की कई छोटी जंगें भी लड़ी लेकिन 63 साल की उम्र में बादशाह बनकर सिर्फ 5 साल में इतनी बड़ी सल्तनत सम्भालना मुश्किल ही था।

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