बाराबंकी(अबू शहमा अंसारी)। आठवीं मोहर्रम को अलम का जुलूस बड़ी चौक से उठ कर अपने तयशुदा रास्तों से होता हुआ अपार जन समूह के साथ बड़ा इमामबाड़ा महल पहुंचा। यह क़दीम जुलूस नौहाखानी और सीनाजनी करते हुए महल पहुंचा और रास्ते भर हज़रत इमाम हुसैन के नाम से सबील और लंगर तकसीम होता रहा।
जुलूस के पूर्व बड़ा इमामबाड़ा महल में सुबह 11:00 बजे कदीमी मजलिस आयोजित हुई, इस मजलिस को जनाब हसन तकी काजमी ने खिताब फरमाया। जनाब हसन तकी साहब ने अपने पर नाना मुजाहिर मियाँ के अंदाज़ में मर्सिया पढ़ अज़ादारों को रोने पर मजबूर कर दिया।