ऐतिहासिक स्थान

आज से 103 साल पुराने महू रेलवे स्टेशन का नायाब फोटो

मेलेट्री हेड क्वार्टर ऑफ वार….. यानि महू (MHOW)

मालकम साहब ने महू को छावनी के लिए चुना।
मानपुर रोड़ पर महू किला भी बनवाया गया।
तुकोजीराव होलकर साहिब ने रेलवे लाईन बिछाने के लिए अंग्रेजों को लोन दिया।

महू से अजमेर जाने वाली ट्रेन बहुत मशहूर थी।
इंदौर आते~आते खचाखच भरी मिलती । पैर रखने की जगह भी मयस्सर ना होती। बाथरूम के पास बैठकर या रेल की खुली छत पर सफर करना पड़ता था। अकोला से अजमेर जाने वाली रेल की हालत तो बहुत ज्यादा खराब मिलती। शौचालय में घुसने का मन ना करता गलती से घुस जाओ तो उल्टी हो जाए।😁 महाराष्ट्र से आने वाले ग्रामीण इतना सारा कचरा फैला देते कि दरवाजा तक घेर लेते। बोरियां बिस्तर तक लेके चलते थे निगोडमारे।😁

रतलाम स्टेशन पर रेल तीन से चार घंटे पड़ी रहती।
इतनी देर की कोई टाकीज में जाकर फिल्म का एक शो निपटा के आ जाए। लेकिन रेल टस से मस न हो।🤣
जगह के लिए लड़ते~झगड़ते , किचकिच करते हुए अजमेर पहुंचते। कई बार मैं जगह के चक्कर में उल्टा इंदौर से महू पहुंचा।

इंदौर से बुरहानपुर या खंडवा का सफर सबसे ज्यादा रोमांचक रहता। महू के आगे मालवा का शिमला शुरू होता है। कालाकुंड , पातालपानी ,चोरल जैसे स्टेशन पहाड़ों के बीच बनी सुरंगों से जब कूक मरते हुए रेल गुजरती तो मुसाफिरों के दिल धड़क उठते। दिल को मोह लेने वाले खूबसूरत मंजर। क्या कहने।

धीरे~धीरे सब बदल गया।
स्टेशन की शक्लों सूरत भी
और महू का नाम भी………

✍️ जावेद शाह खजराना

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One thought on “आज से 103 साल पुराने महू रेलवे स्टेशन का नायाब फोटो

  1. आपका बहुत~बहुत शुक्रिया
    जर्रा नवाजिश
    आपने मुझ हकीर के लेखों को अपने पोर्टल पर जगह दी।
    अल्लाह आपको खूब तरक्की अता करें
    जावेद शाह……

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