गोरखपुर। मियां बाजार स्थित इमामबाड़ा इस्टेट से पांचवीं मुहर्रम का शाही जुलूस अपनी रवायत के मुताबिक पूरी शानो शौकत के साथ सोमवार को निकाला गया। लोग इस जुलूस को देखने के लिए बेताब नजर आए। छतों व रास्तों पर मजमा दिखा।
सफेद लिबास, परंपरागत वर्दी, घुड़सवार और सभी के हाथों में फौजियों वाले भाले, बंदूक व तलवारों के बीच सफेद लिबास में चल रहे मियां साहब जैसे ही दिखे, शोर उठा मियां साहब आ गए। धीरे-धीरे कदम बढ़ा रहे इमामबाड़ा इस्टेट के सज्जादानशीन अदनान फर्रुख शाह ‘मियां साहब’ को देखने क लिए भीड़ बेताब हो उठी। जुलूस गुजरा तो लोग पीछे-पीछे चलने लगे। एक कारवां चल पड़ा जो कि फिर इमामबाड़ा में ही पहुंच कर समाप्त हुआ।
बीते करीब तीन सौ साल से निकल रहा मियां साहब का पांचवी मुहर्रम का जुलूस हज़रत रौशन अली शाह की मजार पर फातिहा पढ़कर पश्चिमी फाटक से सुबह निकला। मियां साहब व अन्य लोगों ने हज़रत कमाल शाह की मजार पर फाातिहा पढ़ी। इसके बाद जुलूस बक्शीपुर की ओर मुड़ा। जुलूस के सबसे आगे इमामबाड़ा इस्टेट का अलम, परचम और उनके पीछे सफेद और परंपरागत वर्दी में अंगरक्षक चल रहे थे। मियां साहब के निजी सुरक्षा गार्ड उनके पीछे थे। कई अदद बैण्ड वादक और शहनाई वादक भी जुलूस में शमिल थे।
मातमी धुन पर कई जगह मियां साहब ग़म का इजहार करते नज़र आए। पांचवी मुहर्रम का जुलूस मियां बाज़ार इमामबाड़े से रवाना होकर कमाल शहीद बक्शीपुर, अलीनगर, चरन लाल चौक, बेनीगंज इमामबाड़ा, बेनीगंज चौराहा, जाफ़रा बाजार से होता हुआ कर्बला के मैदान में पहुंचा। यहां मियां साहब ने आराम किया। कर्बला से जुलूस रवाना होकर घासी कटरा, मिर्जापुर चौराहा, साहबगंज, खूनीपुर चौराहा होता हुआ नखास चौराहा, कोतवाली, मान चौराहा से गुजर कर इमामबाड़ा इस्टेट के दक्षिण फाटक से अंदर दाखिल हुआ। मियां साहब ने अपने पूर्वजों की मजार पर फातिहा पढ़कर जुलूस समापन की घोषणा की। मियां साहब व जुलूस का जगह-जगह फूलों द्वारा स्वागत किया गया। शांति का प्रतीक कबूतर उड़ाया गया। जुलूस में शामिल लोग अलम, रौशन चौकी लिए ढ़ोल-ताशा बजाते हुए चल रहे थे। इमामबाड़ा इस्टेट के मेले में लोग उमड़े। हजरत रौशन अली शाह की मजार पर फातिहा पढ़ी गई। सोना, चांदी, लकड़ी के ताजिया व धूनी की लोगों ने जियारत की। हलवा पराठा का मजा लिया। मेले में सजी दुकानों से जरूरत का सामान लिया।