भारतीय वक्फ प्रबंधन प्रणाली की रिर्पोट है, कि वर्तमान में इनके पास आठ लाख एकड़ से अधिक के कुल क्षेत्रफल को कवर करने वाली 8.54.509 संपत्तियाँ हैं। भारतीय सेना व रेलवे के बाद वक्फ बोर्ड देश का तीसरा सबसे बड़ा जमींदार है। शाब्दिक रूप से वक्फ किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी उद्देश्य के लिए किसी जी संपत्ति का स्थाई दान है। जिसे इस्लामी कानून के अनुसार पवित्र धार्मिक व सामाजिक रूप से लाभकारी माना जाता है और आमतौर पर इमामबाड़ा मस्जिद, कब्रिस्तान व ईदगाह के रूप में उपयोग किया जाता है। हालांकि, भारत में बड़ी संख्या में वक्फ संपत्तियों का या तो कम उपयोग होता है या दुरूपयोग होता है, जिससे इनका क्षरण होता है और उनके इच्छित उद्देश्य को पूरा करने में कम प्रभाव लता होता है।
वक्फ संपत्तियों का खराब प्रबंधन इनके संकुचित उपयोग का एक मुख्य कारण है। अन्य उद्देश्यों के लिए, इसके धन व संपत्तियों का अवैध हस्तांतरन और स्वामित्व के लिए धोखाधड़ी के दावों के साथ संपत्तियों का परित्याग करने की वजह से, इनका वांछित उद्देश्य फलिभूत नहीं हो पा रहा है। वांछित दया, दान धर्म के उद्देश्य के बजाय इन संपत्तियों को निजी व्यक्तियों या कंपनियों द्वारा व्यसवायिक उद्देश्य के लिए उपयोग में लाया जा रहा है।
स्वार्थ व लालच के कारण वक्फ संपत्तियों का प्राथमिक लक्ष्य खो गया है. क्योंकि इनका प्रबंधन धनी मुस्लिमों के एक छोटे समूह द्वारा किया जाता है। देश के उन दबे हुए जरूरतमंद मुस्लिमों को ऐसे प्रबंधनों की मदद की आवश्यकता है, लेकिन इन्हें छोड़कर प्रबंधक मुस्लिम दिनो-दिन धनी हो रहे हैं। वक्फ संपत्ति सिर्फ वक्फ संपत्ति होने की वजह से बंजर हो गई है। यह सच्चाई है कि कुछ बोर्ड के सदस्य अपने लोगों को वक्फ संपत्तियों को संभालने के लिए मुतावली बनाते हैं।
मुस्लिमों की उन्नति और समग्र उत्थान खासकर शिक्षा के क्षेत्र में करने के लिए यह आवश्यक है कि भारतीय वक्फ बोर्ड अपनी संपत्ति का ठीक से प्रबंधन करें और खाली पड़ी या अनुपयोगी संपत्तियों पर समकालीन शिक्षण संस्थान स्थापित करें। साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर मुसलमान, ऐसा होने के लिए दूरदर्शी नेताओं की सख्त जरूरत है, जो वक्फ बोर्ड के सदस्य बन सकें। अंतत इस मामले में सही दृष्टिकोण के बिना, देश के मुसलमानों को इतने बड़े संसाधनों से लाभ नहीं होगा जिसकी वजह से पैगम्बर मोहम्मद द्वारा वक्फ के निर्माण का उद्देश्य खंडित हो जाएगा।