गोरखपुर। दुनिया के महान सूफी संत हज़रत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी हसन संजरी अलैहिर्रहमां (ख़्वाजा ग़रीब नवाज़) का 809वां उर्स-ए-पाक शुक्रवार को दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद नार्मल, जामा मस्जिद रसूलपुर, सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह, मोती मस्जिद अमरुतानी बाग, मस्जिदे बेलाल दरियाचक, बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर, गॉर्डन हाउस मस्जिद जाहिदाबाद, चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर, अक्सा मस्जिद शाहिदाबाद आदि में अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया। कुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी व कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। दरगाह पर लंगर बांटा गया। शहर की तमाम अन्य मस्जिदों में जुमा की तकरीर के दौरान हज़रत ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की जिंदगी व अज़ीम कारनामों पर रोशनी डाली गई। मदरसतुल मदीना फैज़ाने सिद्दीक़े अकबर अंधियारीबाग में दरूद ख्वानी व फातिहा ख्वानी हुई। तहरीक दावते इस्लामी हिन्द की ओर से मिर्जापुर कलशे वाली मस्जिद में जश्न-ए-ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ मनाकर लंगर-ए-ग़रीब नवाज़ अकीदतमंदों में बांटा गया।
शुक्रवार की सुबह से ही दरगाह पर अकीदतमंदों का तांता लगा रहा। अकीदतमंदों ने उलेमा-ए-किराम की जुब़ानी ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की जिंदगी के वाकयात, करामात, इल्म, तकवा व परहेजगारी के बारे में सुना। अंत में फातिहा ख्वानी कर लंगर-ए-ग़रीब नवाज़ बांटा गया।
मस्जिदों में उलेमा-ए-किराम ने कहा कि दुनिया के महान सूफी संत हज़रत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की अजमेर स्थित दरगाह सिर्फ इस्लामी प्रचार का केंद्र ही नहीं बनी, बल्कि यहां से हर मजहब के लोगों को आपसी प्रेम का संदेश मिला है। मुल्क की तरक्की एवं अमन की दुआ मांगी गई।
उर्स में कारी सैयद इब्राहिम अत्तारी, मुफ्ती अख्तर हुसैन (मुफ्ती-ए-शहर), मुफ्ती खुश मोहम्मद मिस्बाही, हाफिज तौसीफ अत्तारी, कारी रेयाज अत्तारी, शहजाद अत्तारी, हाफिज मो. आरिफ रज़ा, आदिल अत्तारी, अरमान अत्तारी, कारी हकीकुल्लाह, सुहैल अत्तारी, मौलाना रजीउल्लाह मिस्बाही, मौलाना शादाब बरकाती, कारी अफजल बरकाती, मौलाना मो. अहमद निज़ामी, कमालुद्दीन अत्तारी, मुफ्ती मो. अज़हर शम्सी, मौलाना सद्दाम हुसैन निज़ामी, हाफिज आमिर हुसैन, मौलाना अली अहमद, कारी हसनैन हैदर, हाफिज नूर मोहम्मद, कारी निजामुद्दीन मिस्बाही, एजाज अहमद, कारी बदरे आलम, कारी अबूजर नियाज़ी, मौलाना तफज्जुल हुसैन, अली गजनफर शाह आदि ने महती भूमिका निभाई।