ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ से अकीदत, मोहब्बत का पैगाम करेंगे आम
गोरखपुर। हज़रत ख़्वाज़ा मोईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी हसन संजरी अलैहिर्रहमां (ख़्वाजा ग़रीब नवाज़) का उर्स-ए-पाक 19 फरवरी को है। आपके अकीदतमंद पूरी दुनिया में हैं। हर साल तमाम मजहब के लाखों अकीदतमंद अजमेर शरीफ स्थित ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह पर पहुंचकर अकीदत का नज़राना पेश करते हैं। गोरखपुर से अजमेर शरीफ का सफ़र भले ही लंबा है लेकिन इस बार ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के दो अकीदतमंद यह सफ़र साइकिल से तय कर जज्बे की नई मिसाल कायम करेंगे। यही नहीं जगह-जगह ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के मोहब्बत, भाईचारगी व अमन का पैगाम आम भी करेंगे।
चक्शा हुसैन पचपेड़वा निवासी 35 वर्षीय कलामुद्दीन चिश्ती व 30 वर्षीय मोहम्मद सुल्तान फरवरी में पड़ने वाले ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के उर्स-ए-पाक में शामिल होने साइकिल से जायेंगे। कलामुद्दीन बक्शा मिस्री हैं। वहीं मो. सुल्तान होटल में हेल्पर हैं। कलामुद्दीन ने सफ़र के लिए नई साइकिल भी खरीद ली है। कलामुद्दीन चिश्ती ने बताया कि 14 फरवरी रविवार सुबह 11 बजे से दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद नार्मल से सफ़र शुरु किया जाएगा। हर रोज फज्र से मगरिब तक साइकिल चलाई जाएगी। रास्ते में पड़ने वाली दरगाह व मस्जिद में रात बिताई जाएगी। करीब 11 दिन में एक तरफ का सफ़र मुकम्मल होगा। रास्ते में किछौछा शरीफ (अम्बेडकर नगर), अयोध्या स्थित पैगंबर हज़रत शीश अलैहिस्सलाम की मजार, हज़रत वारिस पाक देवा शरीफ दरगाह (बाराबंकी), लखनऊ स्थित हज़रत शाह मीना दरगाह, बरेली शरीफ स्थित दरगाह आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां अलैहिर्रहमां, नई दिल्ली स्थित हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह, कलियर शरीफ दरगाह आदि पर हाजिरी दी जाएगी। एक तरफ से करीब 1700 किलोमीटर की दूरी तय करने पड़ेगी। करीब दस हज़ार रुपये का खर्चा आएगा। साइकिल पर कपड़ा, बिस्तर व अन्य जरूरत का सामान रखा जाएगा। सफ़र के दौरान तमाम देशवासियों में मोहब्बत व भाईचारगी का पैगाम भी बांटा जाएगा। दरगाह पर पहुंचकर मुल्क के लिए खास दुआ की जाएगी। उन्होंने बताया कि 10 जुलाई 2006 में वह साइकिल से अजमेर शरीफ का सफ़र कर चुके हैं। यह साइकिल से अजमेर शरीफ का उनका दूसरा व सुल्तान का पहला सफ़र है। बकौल कलामुद्दीन मदरसे की एक जमीन का मसला फंसा हुआ था जो ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह पर मांगी गई दुआ के सदके अल्लाह तआला ने हल कर दिया तभी से साइकिल से जियारत करने का इरादा कर लिया था। जिस मदरसे (मदरसा चिश्तिया फैजुल उलूम चक्शा हुसैन पचपेड़वा) के लिए दुआ की थी उसका तमीरी काम जारी है। छत पड़नी बाकी है। सब काम ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दुआओं से हल हो गया। सफ़र को लेकर बहुत उत्साह है।