- पैग़ंबर-ए-आज़म के पैग़ाम से अवाम को करवाएं रू-ब-रू : उलमा अहले सुन्नत
गोरखपुर। 9 अक्टूबर को पड़ने वाले ईद मिलादुन्नबी पर्व के मद्देनज़र उलमा-ए-अहले सुन्नत ने अपील जारी की है। जिनसे पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तालीम भी आम होगी और समाज सेवा भी। जिन पर अमल कर लिया जाए तो आपसी भाईचारा व मोहब्बत में इजाफा होगा और पर्व भी शांति के साथ सम्पन्न हो जाएगा।
कारी मोहम्मद अनस रज़वी व हाफिज रहमत अली निजामी ने कहा है कि ईद मिलादुन्नबी के मौके पर देशवासियों में फूल और मिठाईयां बांट कर उन्हें पैग़ंबर-ए-आज़म के पैग़ाम से रू-ब-रू करवाएं। पौधारोपण कर पर्यावरण को हरा भरा करें। अपने शहर, गली व मोहल्ले को साफ रखें। अस्पतालों में जाकर बीमारों में फल-दूध वगैरा तकसीम करें। मोहल्लों में नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर लगवाया जाए। गरीबों व यतीमों के बीच जाकर कपड़ा बांटे। गरीबों और यतीमों को खाना खिलाएं। उनके यहां राशन पहुंचाएं। पड़ोसियों का ख्याल रखें। घरों व मस्जिदों को झंडों व लाइटों से सजाएं। खूब इबादत करें। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत करें। दरुदो-सलाम का नज़राना पेश करें। रोजा रखें। शरीअत के दायरे में रहकर ईद मिलादुन्नबी की खुशियां मनाएं। मिलाद की महफिल सजाएं।
हाफिज महमूद रज़ा कादरी व हाफिज आमिर हुसैन निज़ामी ने कहा कि पुरअमन तरीके से तयशुदा लोगों व रास्तों से जुलूस-ए-मोहम्मदी निकालें। जिले के प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर उन्हें तालीमे पैग़ंबर-ए-आज़म पर कोई किताब, फूल और मिठाईयों के साथ मुबारकबाद पेश करें। जुलूस के रास्ते में कोई अस्पताल हो तो खामोशी से दरूदो सलाम का विर्द करते हुए निकल जाएं। जुलूस के रास्ते में कोई एम्बुलेंस आ जाए तो उसे रास्ता दें। जुलूस-ए-मोहम्मदी में डीजे, बैंड बाजा या ढ़ोल बिल्कुल न बजवाएं और न ही आतिशबाजी करें। अमन के साथ जुलूस निकाला जाए और प्रशासन का सहयोग किया जाए। जुलूस में दीनी पोस्टर या किसी मजार जैसे गुंबदे खज़रा की बेहुरमती न हो इस बात का पूरा ख्याल रखा जाए। जुलूस की समाप्ति पर होर्डिंग्स व झंडे सुरक्षित स्थानों पर रख दिए जाएं। जुलूस में लोग इस्लामी लिबास, अमामा शरीफ व इस्लामी टोपी में सादगी के साथ शिरकत करें।