नौशाद अह़मद ज़ैब रज़वी, इलाहाबाद रूह का सही इल्म तो अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त को ही है हां बाज़ किताबों में युं आता है कि रूह एक लतीफ़ जिस्म जो कि कसीफ़ जिस्मों के साथ मिली हुई है जैसे हरी लकड़ी में पानी (शराहुस सुदूर,सफह 133) रूह के पैदा होने की कई रिवायत हैं आलाहज़रत जिस्म […]