फ़रीदी सिद्दीकी़ मिस्बाही जफा़ कशी में किसानों का रंग है बे जोङज़मीं के सीने से फ़सले अनाज खींचते हैं ये जब भी उठते हैं जा़लिम से अपना हक़ लेनेबङी दिलेरी से शाहों का राज खींचते हैं ऐ हुकमरानो! संभल जाओ मानो इन की बातये जि़द पे आऐं तो फिर तख्तो ताज खींचते हैं ज़माना इन […]