जीवन चरित्र

जान तो जाते ही जाएगी……क़यामत ये है के यहां मरने पे ठहरा है नज़ारा तेरा

देवबंद मकतबे फ़िक्र के आलिम कौसर नियाज़ी आला हज़रत इमामे अहले सुन्नत मुजद्दिदे दिनो मिल्लत अल हाफ़िज़, अल क़ारी, अश्शाह इमाम अहमद रज़ा ख़ान रहमतुल्लाह अलैहि की शान ब्यान करते हुवे कहते है की आप बयक वक़्त मुस्लिम भी है, मुबल्लिग़ भी है, मुफ़्ती भी है ,आलिम भी है, फ़ाज़िल भी है, मुअल्लिम भी है, […]