लेखक: मह़मूद रज़ा क़ादरी, गोरखपुर ज्यादा त़लाक़ की मसलें जाहिर हैं मगर जबकि गौर व फिक्र किया जाए! ज़बान दराज़ी वह आफत है जिसके सबब अच्छे भले खानदान तबाह व बर्बाद हो जाते हैं खासकर आज की नई नस्ल में बर्दाश्त की कमी की वजह से इसका ध्यान बहुत ज्यादा बढ़ता जा रहा है।यह एेसी […]