कविता

मनकबत: हमें तुमने अपना लिया आ़ला ह़ज़रत

है क़ल्बो जिगर की सदा आ़ला ह़ज़रतहो तुम आ़शि़के़ मुस्त़फा़ आ़ला ह़ज़रत यही है मेरी इल्तिजा आ़ला ह़ज़रतकरो जामे उल्फ़त आ़ता आ़ला ह़ज़रत बना कर यह दिल आईना आ़ला ह़ज़रतहमें तुम ने अपना लिया आ़ला ह़ज़रत मैं नजदी के झांसे में आऊं ना हर गिज़मुझे राहे ह़क़ पर चला आ़ला ह़ज़रत उसे खौ़फ़ कुछ भी […]