गोरखपुर। उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्प लाइन नम्बरों पर रविवार को ईद की नमाज़, रोजा, जकात, सदका-ए-फित्र आदि के बारे में सवाल आते रहे। उलमा-ए-किराम ने शरीयत की रोशनी में जवाब दिया।
सवाल : ईदगाह में दो बार ईद की नमाज पढ़ना कैसा है? (सैयद मतीन, सूर्य विहार कॉलोनी)
जवाब : ईदगाह में एक मर्तबा ईद की नमाज़ पढ़ने के बाद उसी दिन
उसमें दोबारा ईद की नमाज़ पढ़ना मकरूह है, इसलिए अगर चंद अफराद ईद की नमाज़ से रह गये हों तो वह उसी ईदगाह में दोबारा ईद की नमाज़ न पढ़े बल्कि दूसरी जगह जाकर ईद की नमाज़ पढ़ लें या जहां देर से जमात होती हो वहां जाकर पढ़ लें। (मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी)
सवाल : रोज़े की हालत में सर में मेंहदी लगाना कैसा है? (नसीम, बसंतपुर)
जवाब : रोज़े की हालत में सर या दाढ़ी में मेंहदी लगाने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन मर्दों के लिए काली मेंहदी किसी भी हाल में जायज नहीं। (कारी मोहम्मद अनस रज़वी)