मियां बाज़ार मदीना मस्जिद चौक में जलसा
गोरखपुर। ग़ौसे आज़म हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी अलैहिर्रहमां की याद में मियां बाज़ार मदीना मस्जिद चौक में जलसा-ए-ग़ौसुलवरा हुआ। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। नात व मनकबत मोहम्मद अफ़रोज़ क़ादरी ने पेश की।
अध्यक्षता करते हुए मौलाना अब्दुल्लाह बरकाती ने कहा कि सुन्नत-ए-नबवी ईमान की ऐसी कुंजी है जिससे जन्नत के ताले खुलते हैं। जब तक पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नतों पर लोग अमल पैरा नहीं होंगे उन्हें कामयाबी नहीं मिलने वाली है। अल्लाह ने क़ुरआन-ए-पाक में सब कुछ लिख दिया है। यदि हम लोग क़ुरआन-ए-पाक व पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पैग़ाम को सही रूप से समझें और उसके अनुसार चलें, तो जरूर कामयाब होंगे।
मुख्य वक्ता ग़ौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर के इमाम मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी ने कहा कि अल्लाह ने अपने प्यारे महबूब हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को सारे आलम के लिए रहमत बना कर भेजा। आपका एक-एक पैग़ाम दुनिया वालों के लिए सबक है। पैग़ंबर-ए-आज़म ने अपने किरदार व अखलाक से सभी का दिल जीत लिया। पैग़ंबर-ए-आज़म ने लोगों को उम्दा अखलाक व मोहब्बत का पैग़ाम दिया। मुसलमानों के लिए यह जरूरी है कि वह पैग़ंबर-ए-आज़म के हुक्म को मानें।
विशिष्ट वक्ता मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी (नायब क़ाज़ी) ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम अल्लाह के द्वारा दिया गया अज़ीम संदेश है जो क़ुरआन के रूप में आखिरी पैग़ंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ऊपर नाज़िल (अवतरित) हुआ। पैग़ंबर-ए-आज़म ने अल्लाह के हुक्म के अनुसार अमल करते हुए अपनी पूरी ज़िदंगी गुजारी। अल्लाह का आदेश और पैग़ंबर-ए-आज़म की अमली ज़िंदगी मिलकर ही दीन-ए-इस्लाम को मुकम्मल करती है। दीन-ए-इस्लाम अल्लाह का भेजा हुआ सच्चा धर्म है, जिसके अंतर्गत इंसान अपनी ज़िंदगी के तमाम पहलुओं सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, नैतिक आदि में कामयाबी हासिल कर सकता है। हम सब हिन्दुस्तान में रहते हैं, यहां की बेहतरी के लिए सोचें, काम करें, ताकि हमारे मुल्क हिन्दुस्तान में अमनो शांति कायम रहे।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो शांति व तरक्की की दुआ मांगी गई। जलसे में अतहर आलम, अशफाक अहमद, मो. इकराम, मोअज्जम, हलीम, नूर मोहम्मद दानिश, हाफ़िज़ मो. शाकिब, कारी शमसुद्दीन आदि ने शिरकत की।