गोरखपुर। माह-ए-रमज़ान के तीस दिन शहर की कई मस्जिदों में रमज़ान का विशेष दर्स दिया जाएगा। जिसमें नमाज़, रोजा, जकात, हज, एतिकाफ, शबे कद्र, सदका खैरात आदि के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। दर्स के अंत में लोगों के सवालों का जवाब भी दिया जाएगा। माह-ए-रमज़ान में पड़ने वाली मुकद्दस तारीख़ों जैसे यौमे बद्र, फतह मक्का, हज़रत अली की शहादत का जिक्र किया जाएगा। वहीं हज़रत खदीजा, हज़रत फातिमा, हज़रत आयशा, हज़रत इमाम हसन की जिंदगी पर रोशनी डाली जाएगी। दर्स माह-ए-रमज़ान की पहली तारीख़ से रमज़ान के अंत कर चलेगा।
मकतब इस्लामियात के शिक्षक कारी मो. अनस रज़वी ने बताया कि दीन-ए-इस्लाम में दीन का इल्म सीखना बेहद जरुरी है। जब हम दीन की बुनियादी बातें जानेंगे, क़ुरआन सही ढ़ंग से पढ़ना व समझना जानेंगे तब ही हमारी इबादत हमारे लिए फायदेमंद साबित होगी। दुआ कुबूल होगी। समाज में बहुत से ऐसे लोग जो किसी वजह से क़ुरआन पढ़ना व दीन की बातें नहीं सीख पाते हैं उन्हें संकोच छोड़ना चाहिए। इल्मे दीन हासिल करने की कोई उम्र नहीं होती है। वह खुशनसीब हैं जो माह-ए-रमज़ान में रोजा रखकर, नमाज़ पढ़कर इल्मे दीन हासिल करने के लिए एक जगह जमा होंगे।
मुफ्ती मो. अजहर शम्सी (नायब काजी) ने कहा कि रमज़ान का महीना हर साल रहमतों, बरकतों, और मग़फिरत का न मिटने वाला ख़जाना लेकर हमारे बीच आता है। इस महीने का एक खास मकसद यह है कि हम परहेजगार बन जाएं। रोजा की हालत में भूख व प्यास के एहसास के जरिया हमें अपने आस-पास के मुसलमान भाईयों की जरूरतों का भी ख्याल करना चाहिए। रोजा हमें यह तालीम देता है कि हम खुद ही लज़ीज़ खानों और ठंडे शर्बतों से पेट न भरें बल्कि अपने गरीब, मुफलिस, भूखे और खाली हाथ मुसलमान भाईयों की जरूरतों का भी ख्याल रखें।
-इन मस्जिदों में ये उलेमा देंगे रमज़ान का दर्स
- हुसैनी जामा मस्जिद बड़गो – मौलाना मो. उस्मान बरकाती : बाद नमाज ज़ोहर
- चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर – हाफ़िज़ महमूद रज़ा कादरी – बाद नमाज ज़ोहर
- ईदगाह रोड मस्जिद बेनीगंज – कारी मो. शाबान बरकाती – बाद नमाज फज्र
- सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाजार – हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी – बाद नमाज फज्र
- गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर – मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी – बाद नमाज़ असर
- नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर – मौलाना मो. असलम रज़वी – बाद नमाज़ असर
- फिरदौस जामा मस्जिद जमुनहिया बाग – मौलाना अनवर अहमद तनवीरी – बाद नमाज़ असर
- सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह – मौलाना जहांगीर अहमद अज़ीज़ी – बाद नमाज़ असर