गोरखपुर

हज़रत शाह वलीउल्लाह की याद में सजी महफिल

गोरखपुर। सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाज़ार में हज़रत शाह वलीउल्लाह मुहद्दिस देहलवी अलैहिर्रहमां का उर्स-ए-पाक अकीदत के साथ मनाया गया। महफिल सजी। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत व फातिहा ख़्वानी हुई।

मस्जिद के इमाम हाफ़िज़ रहमत अली निजामी ने कहा कि हज़रत शाह वलीउल्लाह मुहद्दिस देहलवी की पैदाइश 4 शव्वाल 1114 हिजरी में मुजफ्फरनगर (उप्र) में हुई। आपके वालिद का नाम हज़रत शाह अब्दुर्रहीम मुहद्दिस देहलवी अलैहिर्रहमां है। आपके वालिद दिल्ली के मशहूर आलिम और फक़ीह थे। आपने पांच साल की उम्र में तालीम हासिल करनी शुरु की। सात साल की उम्र में आपने क़ुरआन-ए-पाक की तालीम पूरी की। फिर हाफ़िज़-ए-क़ुरआन हुए। आठ साल की उम्र में फारसी और अरबी की तालीम पूरी की। दस साल की उम्र में इल्मे नहव और इल्मे सर्फ की तालीम पूरी की। पंद्रह साल की उम्र में फलसफा और कलाम की तालीम पूरी की। आपने वालिद से आपने हदीस, फ़िक़्ह, तकरीर, तसव्वुफ, इल्मे तिब, मंतिक (इल्मे रियाज़ी) आदि की तालीम हासिल की। 17 साल की उम्र में अपने वालिद से खिलाफत हासिल की। मदरसा रहीमिया में शिक्षक भी रहे। मक्का और मदीना शरीफ में हज व तालीम हासिल करने के लिए गए। मक्का शरीफ से हिन्दुस्तान वापस आने के बाद दिल्ली में तलबा को और लोगों को दीन-ए-इस्लाम की तालीम देनी शुरु की। आपने तालीम और तसनीफ (तहरीर) के जरिए अहले सुन्नत वल जमात की अज़ीम खिदमत की। आप लोगों को शरीअत पर पाबंद रहने, क़ुरआन-हदीस पर अमल करने, सुन्नतों को अपनाने और बुरी बिदअतों से बचने की तालीम देते रहे। आपने हिन्दुस्तान में सबसे पहले क़ुरआन-ए-पाक का फारसी तर्जुमा किया। आपने अरबी और फारसी में तकरीबन 51 से ज्यादा किताबें लिखीं। आप हज़रत शाह अब्दुर्रहीम मुहद्दिस देहलवी अलैहिर्रहमां के मुरीद व खलीफा हैं। आपका इंतकाल 29 मुहर्रम 1176 हिजरी में हुआ। आपका मजार दिल्ली में है। अंत में सलातो सलाम पढ़कर अमनो अमान की दुआ मांगी गई। उर्स में कारी मोहम्मद अनस रजवी, हाफिज एमादुद्दीन, हाफिज आमिर हुसैन निजामी आदि शामिल हुए।

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