- दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोरखपुर में ‘संवाद- 2022’
- प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव केपी दूबे एवं बीएनएचएस के उप निदेशक डॉ विभु प्रकाश ने किया संबोधित
गोरखपुर।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव उत्तर प्रदेश केपी दूबे ने कहा कि उत्तर प्रदेश गिद्ध (जटायु) प्रजनन एवं संरक्षण का बड़ा केंद्र बनेगा। केंद्र एवं प्रदेश सरकार इसके लिए तत्पर है। रामायण काल के पक्षीराज जटायु गिद्ध प्रजाति के ही थे जिन्होंने माता सीता के रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। ऐसे प्रजाति के संरक्षण के लिए हम सब को प्रयास करना होगा। गोरखपुर वन प्रभाग के कैम्पियरगंज में खुलने जा रहा देश का पहला राज गिद्ध (रेड हेडेड व्लचर) प्रजनन एवं संरक्षण केंद्र मील का पत्थर शामिल होगा।
केपी दूबे, सोमवार को दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोरखपुर में ‘संवाद- 2022 गिद्ध संरक्षण उत्तर प्रदेश सरकार के अभिनव प्रयास एवं वन्यजीव संरक्षणपरक इको टूरिज्म के क्षेत्र में आजीविका के अवसर’ विषय छात्रों को संबोधित कर रहे थे। इस संवाद का आयोजन गोरखपुर वन प्रभाग ने हेरिटेज फाउंडेशन गोरखपुर, बीएनएचएस मुम्बई, आईक्यूएसी दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सहयोग से किया। श्री के पी दूबे ने कहा कि हमारे समाज में व्याप्त घरेलू व वन्यजीवों के मृत शरीर के निस्तारण में गिद्धों की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है। वर्तमान समय में पूरे देश में लगभग दो से तीन हजार की संख्या में ही बचे हैं। गिद्ध संरक्षण सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्व की चिंता है।
कार्यक्रम का संचालन हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ अनिता अग्रवाल एवं आईक्यूएसी के कोआर्डिनेटर प्रोफेसर डॉ परीक्षित सिंह ने संचालन किया। कार्यक्रम में विद्यालय प्रबंधन ने राष्ट्रसंत महंत अवेद्यनाथ स्मृति ग्रंथ एवं उत्तरीय प्रदान कर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव केपी दूबे, उप निदेशक बीएनएचएस डॉ विभु प्रकाश, मुख्य वन संरक्षख वन्यजीव नीरज कुमार, निदेशक प्राणी उद्यान डॉ एच राजा मोहन, संरक्षिका हेरिटेज फाउंडेशन डॉ अनिता अग्रवाल का अभिनंदन किया। संवाद में डीएफओ विकास यादव, अनिल भाष्कर, डॉ शुभ्रांशु सिंह, डॉ सुनील सिंह, डॉ आरपी यादव, हेरिटेज फाउंडेशन से मनीष चौबे, इम्तियाज, हेरिटेज वरियर्स की संयोजिका मल्लिका मिश्रा, प्राणी उद्यान पशु चिकित्साधिकारी डॉ योगेंद्र प्रताप सिंह, डॉ अरुण यादव समेत काफी संख्या में विद्यार्थी एवं वन एवं प्राणी उद्यान के अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।
गिद्ध संरक्षण पर बनी फिल्म भी देखी, सवाल पूछे
संवाद के पूर्व छात्रों ने पर्यावरणविद माइक हरिगोविंद पाण्डेय की गिद्ध संरक्षण पर बनी फिल्म ‘ब्रोकेन विंग्स’ भी देखी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि केपी दूबे एवं डॉ विभु प्रकाश ने विद्यार्थियों के गिद्ध संरक्षण, इको टूरिज्म और रोजगार के अवसर संबंधी सवाल पूछ अपनी उत्सुकता भी शांत की।
04 करोड़ से 2007 तक 99 फीसदी गिद्ध खत्म हुए : डॉ विभु प्रकाश
मुख्य वक्ता वरिष्ठ वैज्ञानिक उप निदेशक बीएनएचएस मुम्बई डॉ विभु प्रकाश ने छात्रों को बताया कि देश में करीब 04 करोड़ गिद्ध हुआ करते थे। लेकिन 1990 के दशक में 90 फीसदी गिद्ध खत्म हो गए। साल 2007 तक लगभग 99 प्रतिशत गिद्ध खत्म हो गए। इसके पीछे दर्द निवारक दवाएं बड़ी वजह थी। सुप्रीम कोर्ट ने इन दवाओं पर प्रतिबंध भी लगाया है लेकिन आज भी चोरी छुपे इनका इस्तेमाल जारी है। बताया कि दुनिया में गिद्ध की 23 प्रजातियां हैं लेकिन भारत में 09 प्रजाति के गिद्ध मिलते हैं। अलग-अलग प्रजाति के गिद्ध मृत जानवरों के अलग-अलग हिस्सों के मांस के साथ ही उनके हड्डियों को भी खाकर पर्यावरण की स्वच्छता में अपना विशेष योगदान देते है। गिद्ध समाजिक और झुंड में रहने वाले पक्षी हैं। वजन 05 से 10 किलोग्राम तक होता है। 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भरने वाले गिद्ध मृत जानवर को दूर से ही देख लेते हैं। लगभग 30 मिनट में ही 100 किलोग्राम के मृत जानवर की हड्डियां छोड़ सब खा जाते हैं। गिद्ध के अभाव में मृत जानवरों पर फंगस व बैक्टिरिया हो जाते है। जिससे भूमिगत जल प्रदूषित होता है। ऐसे में मानव समाज के हित में गिद्धों का विशेष योगदान दिखता है।
देश में गिद्ध संरक्षण के 08 प्रजनन केंद्र संचालित
डॉ विभु प्रकाश ने बताया कि बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी गिद्ध संरक्षण के क्षेत्र में विशेष प्रयास कर रहा है। 2012 में गिद्धों के संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। देश में 08 प्रजनन केन्द्र चल रहे है, जिनमें 500 से ज्यादा बच्चें पैदा हो चुके है। वर्ष में एक बार सभी गिद्धों को पकड़ उनके स्वास्थ की समुचित जाँच की जाती है। आने वाले समय में गिद्धों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रयास जारी है जिसमें उत्तर प्रदेश एक बड़ी भूमिका निवर्हन करेगा।
आतंकवाद का पहला शिकार पक्षीराज जटायु: डॉ प्रो ओम प्रकाश
अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति में व्यक्ति और प्रकृति एक दूसरे के सहयोगी रहे है। प्रकृति में व्याप्त जीव, पशु-पक्षी समाज के लिए अपना योगदान देते है। पूरे सृष्टि में आतंकवाद का पहला शिकार पक्षीराज जटायु थे। भारत की संनातन संस्कृति वन्यजीवों से लेकर प्रकृति के सभी जीवों के संरक्षण की व्यवस्था से जुड़ी रही है। गिद्धों की प्रजाति जो प्रकृति का अपमार्जक है। समय के साथ समाप्त हुआ है जिसके संरक्षण की पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है। कोई भी देश अपनी भूमि से महान नहीं होता बल्कि अपने नागरिकों की भूमिका से महान होता है। नए भारत के निर्माण में हमारे युग-द्रष्टाओं ने हमसे अपेक्षा की है उस पर खरा उतरने का समय चल रहा है। आने वाले समय में भारत अपने सनातन संस्कृति के बल पर विश्व गुरू के रूप में अवश्य ही पुर्नस्थापित होगा।