- मुहर्रम में हर रोज मिलते हैं रोजगार के मौके
- इमामबाड़ा मेले में उमड़ रही भीड़, बिक रहे सामान
- शॉप ओनर्स से लेकर डेली वेजेज लोगों को भी मिलता है मौका
- महीने में कमाने वाला पैसा 10 दिन में कमाते हैं दुकानदार
गोरखपुर। माहे मुहर्रम जारी है। अकीदतमदों का हुजूम उमड़ पड़ा है। इमामबाड़ा इस्टेट मियां बाज़ार में मेला जबरदस्त शबाब पर है। दुकानों पर भीड़ उमड़ रही है। करीब दो साल बाद लगे मेले में खूब सामान बिक रहे हैं। स्थानीय व बाहर से आए दुकानदारों के सामानों की खूब बिक्री हो रही है। खानपान से जुड़े लोगों की खूब कमाई हो रही है। वहीं झूला वालों की भी चांदी है। जहां सोने-चांदी की ताजिया की जियारत हो रही है, तो वहीं जुलूसों का भी दौर जारी है। इन सबके साथ ही मुहर्रम की सबसे खास बात यह है कि माह के शुरुआती 10 दिन कारोबारियों के लिए भी काफी खास होते हैं। खासतौर पर रेस्टोरेंट और खाने-पीने का सामान बेचने वालों की तो इन दस दिनों में पूरे माह के बराबर कमाई हो जा रही है। वहीं, दस दिन में हजारों को रोजगार का मौका भी मिल रहा है। कुल मिलाकर यह अकीदत के साथ लोगों के लिए एक खास महीना होता है, जिसमें कारोबार की चमक कई गुना बढ़ जाती है। इमामबाड़ा इस्टेट का मेला तीजा तक जारी रहेगा।
कई गुना हुआ व्यवसाय
मुहर्रम के खास मौके पर कारोबार खूब फला-फूला है। गोरखपुर के अलावा दूर-दराज से भी लोग खास मुहर्रम में शहर पहुंच रहे हैं और रोड साइड बाज़ार लगाकर खूब कमाई करने में जुटे हैं। व्यापारियों की मानें तो जो कमाई एक माह में होती है, मुहर्रम के दौरान वह दस दिन में कर लेते हैं। सबसे खास फायदा जुलूस निकलने वाले रास्ते पर दुकान और होटलों को हो रहा है, जहां जुलूस में शामिल लोग खाने पीने के लिए वहां आ रहे हैं और पेट भरने के साथ कारोबारियों की जेब भी भर रहे हैं।
हजारों को मिल रहा है रोजगार
मुहर्रम के खास दस दिनों में डेलीवेजेज पर काम करने वालों को भी भरपूर रोजगार मिला हुआ है। दिनभर पसीना बहाकर वह जो कमाई करते हैं, वह उन्हें 2-3 घंटे की एक गश्त में मिल जा रहा है। एक दिन में वह कई-कई जुलूस में शामिल होकर खूब कमाई कर रहे हैं। खासतौर पर शाही जुलूस में सैकड़ों लोगों को एक बार में ही रोजगार मिल जा रहा है।
दस दिन बाजारों में खूब रौनक रहती है। सड़कों पर कई गुना ज्यादा आवाजाही होने से कारोबार भी अच्छा हो जाता है।सैयद हुसैन अहमद
मुहर्रम में लाखों लोगों को फायदा होता है। यह इबादत का महीना है। साथ ही लोगों को व्यवसायिक फायदा भी कराता है। फूटपाथ पर बेचने वाले लोगों के साथ दुकानदारों को भी काफी लाभ होता है। एडवोकेट तौहीद अहमद
मुहर्रम के दौरान बाहर से खास हलुवा और पराठा बनाने वाले पहुंचते हैं, जो इमामबाड़े के साथ ही शहर में रोड साइड दुकानें लगाकर कारोबार कर रहे हैं। मनौव्वर अहमद
खिलौना बेचने वालों से लेकर एयरकंडीशंड रेस्टोरेंट में इन दस दिनों तक काफी भीड़ रहती है। माहे मुहर्रम लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार मुहैया कराता है। रमज़ान अली