शहीदे कर्बला की बारगाह में पेश करेंगे अकीदत का नज़राना
गोरखपुर। पिछली बार की तरह इस बार भी माहे मुहर्रम में शहर के युवा रोजा रखकर अकीदतमंदों की मदद कर नेकी का पैग़ाम आम करेंगे। साथ ही पौधरोपण व अन्य नेक काम भी करेंगे। वहीं सोशल मीडिया के जरिए औरों को भी नेक काम करने के लिए प्रेरित करेंगे। माहे मुहर्रम में पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के प्यारे नवासे हज़रत सैयदना इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु व उनके साथियों की अज़ीम क़ुर्बानी को याद किया जाता है। चांद नज़र आने के साथ माहे मुहर्रम 30 या 31 जुलाई से शुरू होगा। नये इस्लामी साल का आगाज भी इसी के साथ होगा और 1444 हिजरी लग जायेगी।
ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष समीर अली, हाफिज मो. अमन, फैज मुस्तफाई, मो. जैद, मो. फ़ैज़, मो. इमरान, मो. वारिस अली, सैफ अली अंसारी, मो. शारिक, समीउल्लाह, मो. फुजैल, फ़ैज़, अमान अहमद, रियाज़ अहमद, सैयद ज़ैद, मो. अरमान आदि पहली से दसवीं मुहर्रम तक विभिन्न नेक काम कर सवाब कमायेंगे। युवा अकीदतमंदों में हुसैनी लस्सी व हुसैनी शर्बत बांटेंगे। रहमतनगर व अहमदनगर चक्शा हुसैन में दस दिनों के लिए हुसैनी पानी स्टॉल लगाया जाएगा। युवा जुलूस में शामिल लोगों को शर्बत पिलायेंगे। कर्बला के शहीदों की याद में पौधारोपण करेंगे। फल वितरण करेंगे। हुसैनी बिरयानी बांटेंगे। रोज़ा इफ्तार कार्यक्रम करेंगे। कमेटी के युवा दस दिनों तक रोज़ा भी रखेंगे।
वहीं अली बहादुर शाह यूथ कमेटी के अली गज़नफर शाह, मो. आसिफ, मो. अमान, चिंटू, शहजादे, सैफ, तौसीफ खान, सीबू, फहद, सैफ लारी, कासिम, अशहर, बब्लू कुरैशी, सैफ आलम आदि सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर में चौथी से दसवीं मुहर्रम तक अकीदतमंदों, को लंगर-ए-हुसैनी खिलायेंगे। पहली मुहर्रम को सुबह दस बजे से क़ुरआन ख़्वानी होगी। शीरीनी बांटी जाएगी। चौथी से दसवीं मुहर्रम तक बाद नमाज़ असर लंगर-ए-हुसैनी बांटा जाएगा। वहीं पहली मुहर्रम से लेकर दसवीं मुहर्रम तक कर्बला के शहीदों की याद में रात में बाद नमाज़ एशा महफिल होगी। जिसमें मस्जिद के इमाम मौलाना अली अहमद शहीदे आज़म हज़रत सैयदना इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु व उनके साथियों की अजी़म क़ुर्बानी पर रौशनी डालेंगे। दसवीं मुहर्रम को सुबह दस बजे से तकरीर व मनकबत का कार्यक्रम होगा। कमेटी के युवा मुहर्रम के दस दिनों तक रोजा रखेंगे। कमेटी द्वारा मुहर्रम की पहली तारीख़ को मुसलमानों के दूसरे खलीफा अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैयदना उमर रदियल्लाहु अन्हु का उर्स-ए-पाक कुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी व दुआ ख्वानी के जरिए अकीदत के साथ मनाया जाएगा।