दक्षिण भारत

हज के लिए पैदल निकले केरल के शिहाब, 21वी सदी का पहले पैदल हज यात्री

अल्लाह का घर देखने की तमन्ना हर मुसलमान की होती हैं। लेकिन हजारों किलोमीटर पैदल चलकर हज पर जाना हर किसी के बस की बात नहीं।

लेकिन जब इरादे मजबूत हो तो मंजिल भी आसान हो जाती है। ऐसा ही नेक और मजबूत इरादा लेकर हज के लिए निकले है केरल के शिहाब छोत्तूर

शिहाब पर ये शे’र बिल्कुल फिट बैठता है

ख़ुद ही को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है?

शिहाब की रजा (मर्जी) और जिद अल्लाह का घर पैदल जाकर देखने की है।

हिंदुस्तान के आखरी छोर केरल के मलप्पुरम जिले के कोट्टक्कल के पास अठावनाड नामक इलाका है।
यही के रहने वाले है शिहाब ।शिहाब जोखिम और तकलीफों से भरे लेकिन इस रूहानी सफर पर ऐसे दौर में निकले हैं जब सारी दुनिया में आपाधापी मची है। आज के दौर में पैदल हज यात्रा करना लगभग ना-मुमकिन सा है।
फिर भी केरल के शिहाब छोत्तूर अल्लाह के घर को देखने के लिए पैदल-पैदल मक्का पहुंचने के लिए निकल पड़े है। वो अकेले ही पैदल चलकर 8,600 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करेंगे।

शिहाब केरल से चलकर राजस्थान के रास्ते परदेस में दाखिल होंगे

भारत, पाकिस्तान, ईरान, इराक, कुवैत और सऊदी अरब जैसे देशों का सफर तय करते हुए शिहाब 8 महीने बाद अगले साल तक मक्का पहुंच जाएंगे।

शिहाब एक साल से हज पर जाने की तैयारी में जुटे हुए थे। शिहाब का कहना है मेरा सफर रूहानी है जिसमें मेरा मक़सद पैदल हज करने का है । किसी ने मेरी कोई मदद नहीं की है।

“मुझे सलाह देने वाला भी कोई नहीं मिला। हमने केवल लोगों के पैदल मक्का जाने के बारे में सुना था। लेकिन इस जमाने में हिंदुस्तान में शायद ही कोई जिंदा इंसान मिले जो यहां से पैदल हज करने का अनुभव बता सके।” ऐसा शिहाब का कहना है।

बेशक हजरत आदम अलैहिस्सलाम ने हिंदुस्तान से कई मर्तबा पैदल चलकर हज का सफर किया है।

शिहाब के इरादे देखकर विदेश मंत्रालय भी चकराया

विदेश मंत्रालय के अधिकारी हैरान रह गए जब उन्हें मक्का जाने की इजाजत के लिए शिहाब की दरख्वास्त मिली। पहले तो उन्हें यह नहीं पता था कि इस मसले को कैसे संभालना है ? क्योंकि उन्हें इससे पहले पैदल हज का कोई अनुभव नहीं था। आख़िर विदेश मंत्रालय ने शिहाब के पैदल सफर को हरी झंडी दे ही दी।

हज के लिए निकले शिहाब का मालाबार में कई जगहों पर हीरो की तरह स्वागत किया गया । जुम्मे को जब वह चलियाम पहुंचे तो सैकड़ों लोग उनका इस्तकबाल करने के लिए जमा हो गए। कई व्लॉगर्स उनकी यात्रा का प्रचार कर रहे हैं। क्योंकि शिहाब 21 वीं सदी में भारत से पैदल हज यात्रा करने वाले पहले इंसान हैं।

दिन में कम से कम 25 किमी चलने वाले का इरादे करने वाले शिहाब हल्का सामान ले जा रहे हैं ताकि सफर में दुश्वारी ना हो। उनका कहना है कि अंजान इलाकों का सफर तो हिंदुस्तान छोड़ने के बाद शुरू होगा। जो बेहद मुश्किल , जोखिम और तकलीफों से भरा होगा।

शिहाब रातें मस्जिदों में बिताना पसंद करेंगे

“मैं कोई तम्बू नहीं ले जा रहा हूँ क्योंकि मैं दिन के उजाले में चलना चाहता हूँ। लेकिन मुझे बाद में एक तम्बू खरीदना होगा। ”उन्होंने बताया।
अगले साल फरवरी 2023 तक मक्का पहुंचने वाले शिहाब ने बताया कि इंशा अल्लाह , मैं आठ महीने में 8,640 किमी की दूरी तय करता हुआ मक्का पहुंच जाऊंगा।

अल्लाह से मेरी भी दुआ है ऐसे नेक इरादे वाले लोगों की हिफाजत फरमाएं, रब उन्हें अपने घर का दीदार नसीब फरमाए।

जावेद शाह खजराना

समाचार अपडेट प्राप्त करने हेतु हमारा व्हाट्सएप्प ग्रूप ज्वाइन करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *