जयपुर । झोटवाड़ा में ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के सहयोगी जनाब हाजी बरकत शेख़ ने रोज़ादारों के लिए रोज़ा इफ्तार, मग़रीब की नमाज़ और खाना खिलाने का आयोजन किया। जिसमें बड़ी संख्या में रोज़ादारों ने शिर्कत किया। इसमें जयपुर शहर के इलावा पुणा और मकराना आदि शहरों से भी रोज़ादारों ने शिर्कत किया।
ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जनाब मौलाना मोहम्मद सैफुल्लाह ख़ां अस्दक़ी ने रोज़ा इफ्तार और मग़रीब की नमाज़ अदा करने के बाद अपनी तक़रीर में कहा कि रमज़ान शब्द में कुल 5 अझर हैं। पहला रे, दुसरा मीम, तीसरा जोवाद, चौथा अलीफ और पांचवां नून। रमज़ान के रे से मुराद है रहमते इलाही, मीम से मोहब्बते इलाही, ज़ोवाद से ज़माने इलाही, अलीफ़ से अमाने इलाही और नून से मुराद है नूरे इलाही। रमज़ान में 5 ख़ास इबादतें होती हैं। रोज़े, तरावीह, क़ुरआन की तिलावत, एतेकाफ़ औऱ शबे क़द्र। अल्लाह का जो बन्दा रमज़ान के मुबारक महीने में इन 5 ख़ास ईबादतों को करेगा, तो वह उन 5 इन्आमों यानी रहमते इलाही, मोहब्बते इलाही, ज़माने इलाही, अमाने इलाही और नूरे इलाही का हक़दार होगा।
सुन्नी जामा मस्जिद के इमाम जनाब मौलाना शम्सुद्दीन क़ादरी ने अपनी तक़रीर में कहा कि अल्लाह तआला ने इंसानों को अनगिनत नेअ़्मतों से नवाज़ा है। इन नेअ़्मतों में से खाना, पानी आदि यह ऐसी नेअ़्मतें हैं, जो इन्सानों की रोज़ाना की ज़रुरतें हैं। अल्लाह तआला इन्हीं नेअ़्मतों के ज़रीए मुसलमानों की आज़माईश करता है। क़ादरी ने कहा कि रोज़ादार इफ़्तार के वक़्त जो भी दुआएं मांगता है, अल्लाह उसे अपने फ़ज़्ल-व-करम से क़ुबूल फ़रमाता है। रोज़ादारों की दुआओं को अल्लाह बादलों से भी उपर उठा लेता है और आसमान के दरवाज़े इनके लिए खुल जाते हैं और अल्लाह फ़रमाता है मुझे मेरी ईज़्ज़त की क़सम! मै तेरी ज़रुर मदद फ़रमाऊंगा, अगरचे ताख़ीर हो जाए।
ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के सहयोगी जनाब हाजी बरकत शेख़ ने कहा कि मैंने आलिमों की तक़रीरों में सुना है कि जिसने किसी रोज़ादार को हलाल खाने या पानी से रोज़ा इफ़्तार कराया तो रमज़ान में फ़रिश्ते उसके लिए इस्तिग़फ़ार करते हैं और तमाम फ़रिश्तों के सरदार हज़रत जिब्रइल अमीन शबे क़द्र में उसके लिए इस्तिग़फ़ार करते हैं। इसलिए मैंने रोज़ादारों को रोज़ा इफ़्तार करवाया और नेकी कमाने की कोशिश किया।