गोरखपुर

मस्जिदों में मनाया गया यौमे फतह मक्का

गोरखपुर। शुक्रवार को शहर की मस्जिदों में यौमे फतह मक्का मनाया गया। मदीना जामा मस्जिद रेती चौक में मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी ने कहा कि फतह मक्का एक शानदार फतह थी। जो मुकद्दस रमज़ान की 20 तारीख़ को हुई। मक्का की फतह अरब से मुशरिकीन के मुकम्मल खात्में की शुरूआत साबित हुई। मक्का की फतह के बाद पैग़ंबर-ए-आज़म ने वहां के लोगों से शिर्क न करने, जिना न करने, चोरी न करने की शर्त पर बैअत ली और उन्हें अपने-अपने बुतों को तोड़ने का हुक्म दिया।

सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार में हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी ने कहा कि यह एक ऐसी जंग थी की जिसमें कोई मारा नही गया। बल्कि सही मायने में सबको बेहतरीन ज़िंदगी मिलीं।

सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह में मौलाना जहांगीर अहमद अज़ीज़ी ने कहा कि पैगंबर-ए-आज़म ने किसी पर जुल्म नहीं किया। सबको अमान दे दिया। दुनिया ने ऐसा नज़ारा कभी न देखा था, कि दीन-ए-इस्लाम के सारे दुश्मन, पैग़ंबर-ए-आज़म के सामने थे। पैग़ंबर-ए-आज़म चाहते तो सबसे बदला ले लेते। मगर फतह मक्का में जो हुआ शायद ही किसी फौज के मुखिया ने यह फैसला लिया हो। दुनिया ने इतने जनरलों को देखा है, क्या कभी ऐसा हुआ है कि सभी युद्धबंदियों को माफ़ कर दिया गया हो? कभी नहीं हुआ, जबकि यहां के युद्धबंदी वह लोग थे जो लोगों के दिलों पर राज करने वाले पैग़ंबर-ए-आज़म को मारने के लिए तरह-तरह की साज़िशें कर रहे थे। सबको एक झटके में माफ़ कर दिया गया। किसी से कोई बदला नहीं लिया गया।

चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में हाफ़िज़ महमूद रज़ा क़ादरी ने कहा कि पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फतह मक्का से लोगों का दिल जीत लिया। सभी को आम माफ़ी दी गई। तारीख़ में इससे अनोखा वाकया कहीं नहीं मिलता।

गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर में मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी ने कहा कि फतह मक्का में खून का एक कतरा भी नहीं गिरा और फतह अज़ीम हासिल हो गई। तारीख़ ने ऐसी फतह आज तक नहीं देखी।

नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर में मौलाना मो. असलम रज़वी ने कहा कि फतह मक्का के बाद मक्का शरीफ़ को दारुल अमन यानी ‘शांति का घर’ घोषित किया गया और यह सब उस पैग़ंबर-ए-आज़म के हाथों किया गया जिन्हें पूरे संसार के लिए रहमत बनाकर भेजा गया है।

मस्जिद खादिम हुसैन तिवारीपुर में कारी अफ़ज़ल बरकाती ने कहा कि फतह मक्का विश्व इतिहास की बड़ी ही अद्भुत घटना है। पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने वह सारे लोग थे, जिन्होंने उन्हे सताया था। वह लोग भी थे जो आपसे लड़ने पर उतारु थे, आपकी जान के दुश्मन थे। वह लोग भी थे जिन्होंने आपके चचा को क़त्ल करके उनके कलेजे को चबाने का वहशियाना काम को अंज़ाम दिया था, लेकिन दुनिया ने देखा कि आपने सबको माफ़ कर एक अनोखी मिसाल पेश की। पैग़ंबर-ए-आज़म के इस फैसले से लोग दीन-ए-इस्लाम के दामन से जुड़ते चले गए।

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