ग़ौसे आ’ज़म की विलादत माहे रमज़ानुल मुबारक में हुई और पहले दिन ही रोज़ा रखा। सहरी से लेकर इफ्तारी तक आप अपनी वालिदए मोहतरमा का दूध न पीते थे,चुनान्चे शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी की वालिदए माजिदा फरमाती है की जब मेरा फ़रज़न्द अर्जुमन्द पैदा हुआ तो रमज़ान शरीफ में दिन भर दूध न पीता था।
आप की वालिदए माजिदा फरमाया करती थी : जब मेने अपने साहिब ज़ादे अब्दुल क़ादिर को जना तो वो रमज़ानुल मुबारक में दिन के वक़्त मेरा दूध नहीं पिता था अगले साल रमज़ान का चांद गुबार की वजह से नज़र न आया तो लोग मेरे पास दरयाफ़्त करने के लिये आए तो मेने कहा “मेरे बच्चे ने दूध नहीं पिया” फिर मालुम हुआ की आज रमज़ान का दिन है और हमारे शहर में ये बात मशहूर हो गई की सय्यिदो में एक बच्चा पैदा हुआ है जो रमज़ान में दिन के वक़्त दूध नहीं पीता।
(ग़ौसे पाक के हालात, सफा 24-25)