धार्मिक

ईद-अल-फित्र

ईदुल फित्र रमज़ान की इबादत की तौफीक़ मिलने के शुक्रिए की है और ईदुल अज़्हा हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम व हज़रते इस्माईल अलैहिस्सलाम की कामियाबी के शुक्रिए की है‌।
📚 दिलचस्प मालूमात हिस्सा 1 सफा न० 83

सन् 2 हिजरी में रमज़ानुल मुबारक के रोज़े फ़र्ज़ हुए और उसी साल हुज़ूर ﷺ सल्लल्लाहो अलैहि वआलेही वसल्लम ने पहले नमाज़े ईदुल फितर पढ़ी फिर ईदुल अज़्हा।
📚 दिलचस्प मालूमात हिस्सा 1 सफा न० 84

मसअला:
रोज़ा रखने की मन्नत मानी तो काम पूरा होने पर उसका रखना वाजिब हो गया।
📚 क़ानूने शरीअत जिल्द 1 सफा न० 176

मसअला:
रोज़े की हालत में दांत उखड़वाया और खून निकल कर नीचे हलक़ में उतर गया तो ऐसी सूरत में रोज़ा फासिद यानी टूट जाएगा और उसकी कज़ा वाजिब होगी।
📚 औरतों के मसाइल जि० 1 सफा न० 167

मसअला:
रोज़े की हालत में मिस्वाक करना मकरूह नहीं है जैसे और दिनों में सुन्नत है वैसे ही रोज़े में भी सुन्नत है।
📚 ज़ियाउल बयान दर शाने रमज़ान सफा न० 102

मसअला:
सांप ने डस लिया और जान का खतरा है तो रोज़ा तोड़ दें उसकी सिर्फ कज़ा वाजिब होगी कफ्फारा नहीं।
📚 ज़ियाउल बयान दर शाने रमज़ान सफा न० 102

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