स्वास्थ्य

रमज़ान में तरबूज खाने के फ़ायदे

लेखक: जावेद शाह खजराना

तरबूज फ़ारसी का लफ्ज़ है ।
जो ‘तर’ और ‘बुजह’ से मिलकर बना है।
तर यानि ‘गीला’ और बुझह यानि ‘रफ़्तार’ इस तरह दोनों लफ़्ज़ों से मिलकर हुआ ‘तर’ की ‘रफ़्तार’ (तरबुजह) …..

तरबूज को तरबुजह और कलिंदा , मतीरा भी कहते है।
तरबूज में पानी की मात्रा 97% होती है ।
इसलिए इसे इंग्लिश में वॉटर मेलन कहते है।

अल्लाह तआला ने इस फल का छिलका निहायत मोटा बनाया ताकि इनके अंदर गुदा और पानी महफूज़ रह सके। ये गर्मी का फल है जिसकी तासीर ठंडी रहती है।गर्मी के दिनों में बाज़ार में तरबूज़ की बहार नज़र आने लगती है। पके हुए तरबूज की पहचान करना आसान है आप हल्के हाथ से तरबूज पर थपकी मारे अंदर से आवाज़ आएगी।

अमूमन छोटा तरबूज 2 किलो तक बैठता है ।
मार्केट में 15 से 20 रुपए किलो भाव है। तरबूज हमेशा साबुत खरीदे। फिर उसे पानी में डुबोकर ठंडा करें। फिर काटकर उस पर सेंधा नमक बुरककर सर्व करें।
मीठा पसंद करने वाले तरबूज पर रूह आफ़ज़ा टपकाएं फिर देखिए तरबूज खाने का मजा।

रोजे की हालत में हमारे ज़िस्म में पानी की कमी हो जाती है। इफ्तार में तरबूज खाने से पानी की मात्रा पूरी हो जाती है। इसे खाने के साथ ज्यादा पानी ना पिए क्योंकि तरबूज खुद पानी का भंडार है।

प्यारे नबी तरबूज और खजूर को एक साथ खाना पसंद फ़रमाते थे। हजरत आयशा रजि0 ने फ़रमाती है कि ‘रसूल पाक अक्सर बताते थे कि तरबूज की तासीर ठंडी होती है और खजूर की गर्म। दोनों को मिलाकर खाने से इन फलों की मिलीजुली ठंडी और गर्म तासीर जिस्म को नुकसान नहीं पहुँचाती। बल्कि फायदेमंद रहती है।’

तरबूज खाने के बेशुमार फायदे हैं।
तरबूज जिगर के मर्ज में मुफीद है तो गर्मी के दिनों में रमज़ान के महीने में अमृत के सामान है तरबूज।

अल्लाह तआला की बेहतरीन सौगात है तरबूज।
तरबूज के रस से रोजदार को गर्मी के दिनों में तरावट मिलती है। दिमाग भी ठंडा रहता है।

रोजे रखने की वजह से होने वाली पानी की कमी को तरबूज दूर करता है । इसमें भरपूर मात्रा में गलूकोज होता है जो लू और गर्मी से होने वाली बीमारीयों से बचाव करता है।

ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में सहायक तरबूज जल्दी पच जाता है। इससे नींद भी अच्छी आती है ।इसके रस का नियमित सेवन लू लगने का अंदेशा कम कर देता है। तपती गर्मी में सिरदर्द और पेशाब में होने वाली जलन भी दूर करता है तरबूज।

गर्मी में तरबूज के नियमित सेवन से ज़िस्म में ठंडक रहती है । ये सुखी खांसी भी दूर करता है। रमज़ान में सेहरी या इफ़्तार में अंड-षंड खाने पर अगर खट्टी डकार की शिकायत हो जाए तब आप तरबूज की फांक में काली मिर्ची पीसकर और सेंधा नमक बुरककर खा ले फिर देखिए चुटकियों में खट्टी डकार बंद हो जाएगी।

धूप में चलने से बुखार जैसा लगे तब फ्रिज में रखे ठंडे तरबूज को काटकर खाए ये नुस्ख़ा रामबाण की तरह करेगा।

तरबूज में A , B , C विटामिन और लोहा भारी तादाद में होता है। इसके बीज के अंदर के गुदे को सुखाकर खाते है उसमें प्रोटीन भरा रहता है। जिसे मगज कहते है।
तरबूज खून साफ करने का माद्दा भी रखता है

गर्मी के दिन हो और उसमें रमज़ान आ जाए।
रमज़ान शरीफ़ में तरबूज इफ्तारी में होता ही होता है।
घर-मस्जिद से लेकर इफ्तार पार्टी तरबूज के बगैर अधूरी-सी लगती है।

तरबूज़ का ज्योतिष में भी अहम रोल है।
तरबूज का ख्वाब में दिखना प्यार , बुद्धिमता की निशानी है। इसका दूसरा मतलब बहुत जल्दी दौलत मिलेगी। पैसे की आवक होगी।

कोई तरबूज गिफ्ट करें तो इसका अर्थ खुशखबरी मिलेगी। परिवार के साथ तरबूज खाने का ख्वाब आए तो समझो खटपट पक्की। लड़ाई-झगड़े का प्रतीक है तरबुज का सामूहिक खाते दिखना।
ख्वाब में तरबूज का काटना दिखे समझो मेहनत का फल मिलने वाला है । एक तरीके से तरबूज का दिखना कामयाबी की निशानी है और बार-बार तरबूज दिखे तो समझ जाइये की आपको सेहत के प्रति सचेत रहना है।

वैसे तो मार्केट में कलरफुल तरबूज भी नमूदार होने लगे है। लेकिन अमूमन तरबूज ऊपर से हरा और अंदर से लाल होता है । जो हमारी गंगा-जमुना तहज़ीब का प्रतीक है।

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