गोरखपुर मसाइल-ए-दीनीया

सदका-ए-फित्र एक आदमी की तरफ से साठ रुपए है : उलमा-ए-किराम

गोरखपुर। उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्पलाइन नंबरों पर गुरुवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज़, रोज़ा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए। उलमा-ए-किराम ने क़ुरआन व हदीस की रोशनी में जवाब दिया। इन नम्बरों पर आप भी सवाल कर जवाब हासिल कर सकते हैं 9956971232, 8604887862, 9598348521, 73880 95737, 82493 33347, 8896678117, 8563077292, 9956049501, 9956971041, 77549 59739, 9555591541

सवाल : इस साल सदका-ए-फित्र की मिकदार कितनी है? (मोहम्मद आज़म, खोखर टोला)

जवाब : गोरखपुर के मुसलमानों के लिए गेहूं की कीमत के ऐतबार से सदका-ए-फित्र की मिकदार एक आदमी की तरफ से साठ रुपए है, आप अपनी ताकत और तौफीक के मुताबिक जौ, खजूर या किशमिश के ऐतबार से भी सदका ए फितर निकाल सकते हैं। (मुफ्ती अख़्तर हुसैन मन्नानी)

सवाल : सदका-ए-फित्र किन पर वाजिब है? (मोहम्मद राजिक, तिवारीपुर)

जवाब : हर मालिके निसाब पर अपनी तरफ से और अपनी नाबालिग औलाद की तरफ से एक-एक सदका-ए-फित्र देना वाजिब है। (मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी)

सवाल : क्या गरीबों पर भी सदका-ए-फित्र निकालना वाजिब है? (अलाउद्दीन, तुर्कमानपुर)

जवाब : नहीं सदका-ए-फित्र सिर्फ मालिके निसाब पर वाजिब है ग़रीबों पर सदका-ए-फित्र देना वाजिब नहीं। हां अगर दे दें तो सवाब पाएंगे। (मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी)

सवाल : एडवांस रखी गई रकम पर जकात वाजिब है या नहीं? (सेराज, तकिया कवलदह)

जवाब : बाज़ मामलात में एडवांस रकम वापस नहीं होती ऐसी सूरत में उन पर जकात वाजिब नहीं, और बाज़ मामलात में रकम वापस हो जाती है ऐसी सूरत में उन पर जकात वाजिब है। (हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी)

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