रोजे की हालत में मंजन या टूथपेस्ट करना कैसा है?
प्रश्नकर्ता: अफसाना शेख गोपीगंज भदोही यूपी इंडिया
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पूछी गई सूरत में बिला जरूरत टूथपेस्ट और मंजन करना मकरूह है जबकि मुकम्मल इत्मीनान हो कि कोई ज़र्रा हलक से नीचे ना उतरेगा और कोई ज़र्रा हलक से नीचे उतर गया तो रोजा टूट जाएगा।
अल्लामा अलाउद्दीन हस्कफी रहमतुल्लाहि अलैहि लिखते हैं :
“كره له ذوق شئي”
(“अद्दुर्रुल मुख्तार हाशिया ए तहतावी के साथ” जल्द नंबर 3 पेज नंबर 400, दारुल कुतुब अलइलमिया बैरुत लबनान)
यानी रोजादार को किसी चीज का चखना मकरूह है।
हुजूर आला हजरत तहरीर फरमाते हैं:”मंजन ना जाइज व हराम नहीं जबकि इत्मीनाने काफी हो कि उसका कोई जूज़ हलक़ में ना जाएगा मगर बे जरूरते सहीहा कराहत जरूर है।” (फतावा रजविय्या मुतर्जम, जिल्द नंबर10, पेज नंबर 558, रजा फाउंडेशन लाहौर)
फतावा फैजुर्रसूल जिल्द नंबर 1 पेज नंबर 314 पर है:” हालते रोजा में किसी तरह का मंजन या कोलगेट वगैरह का इस्तेमाल बिला जरूरते सहीहा मकरूह है… अगर उसका कुछ हिस्सा हलक में चला गया और हलक में उसका मजा महसूस हुआ तो रोज जाता रहा।” (सारांश)
अल्लाह ताला और उसके रसूल सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम सबसे ज्यादा जानते हैं।
लेखक: मुफ्ती मोहम्मद सद्दाम हुसैन बरकाती फैजी मीरानी
सदर मीरानी दारुल इफ्ता व शेख उल हदीस जामिया फैजाने अशरफ रईस उल उलूम अशरफ नगर खंभात शरीफ गुजरात इंडिया