गोरखपुर

इफ्तार की खुशबू से महक रही फिज़ा

मुकद्दस रमज़ान का दूसरा रोज़ा

गोरखपुर। मुकद्दस रमज़ान का फैजान जारी है। सोमवार को 14 घंटा 3 मिनट का दूसरा रोजा ख़ैर से बीता। अल्लाह की इबादत में बंदे मश्गूल हैं। फ़र्ज़ नमाज़ों के साथ मुकद्दस क़ुरआन की तिलावत की जा रही है। मस्जिद व मदरसों तरावीह की नमाज़ के दौरान भीड़ उमड़ रही है।

अल्लाह भी बंदों की इबादत से राजी है, इसीलिए तो रोज़ेदार के लिए तमाम नेमते हैं। रोज़ेदार का हर काम खाना, पीना, सोना, उठना, बैठना यहां तक की सांस लेना सब इबादत में गिना जा रहा है। अल्लाह का फ़ज़ल अपने रोज़ेदार बंदों पर खास हो रहा है। मुकद्दस रमज़ान की रहमत व बरकत जारी है। जिससे सभी फैज़याब हो रहे है। शहर की कई मस्जिदों में रमज़ान का विशेष दर्स जारी है।

नखास स्थित कई होटल, रेती चौक, तुर्कमानपुर, शाह मारूफ, उर्दू बाज़ार, जाफ़रा बाज़ार, रसूलपुर, घंटाघर, इलाहीबाग, पिपरापुर, जाहिदाबाद, गोरखनाथ, तुर्कमानपुर आदि की फिज़ा इफ्तार की खुशबू से महक रही है। होटलों पर लोगों का तांता लग रहा है। देर रात तक चहल पहल रह रही है। सुबह से ही इफ्तार व खाना बनाने की तैयारी शुरु हो रही है। इफ्तार में तमाम तरह की पकौड़ी मसलन आलू, बैंगन, केला, लौकी, अंडा व ब्रेड पकौड़ी, समोसा, नमक पारा, कबाब, जलेबी बन रही है। दोपहर के बाद से तलने का काम शुरु हो रहा है। शाम होते लोगों की भीड़ उमड़ने लग रही है। इफ्तार तक काफी सामान बिक जा रहा है। शर्बत की दुकानें भी रोज़ेदारों का इस्तकबाल करती नज़र आ रही हैं। उक्त इलाकों के मुस्लिम होटलों पर ज्यादातर नानवेज आइटम ही बन रहा है। जिनमें बिरयानी, अंडा करी, कबाब पराठा, दाल, चावल, कलेजी, कीमा, सब्जी शामिल है। जिनका ज़ायका लेेेने के लिए बाकरखानी, शीरमाल, नान रोटी, रूमाली रोटी भी बिक रही है। मीठे में शाही टुकड़ा व खीर भी आपको मिल जाएगी।

रोज़ा खजूर, छुहारा या पानी से खोलें : हाफ़िज़ महमूद

चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम हाफ़िज़ महमूद रज़ा क़ादरी ने बताया कि पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया है कि हमेशा लोग खैर के साथ रहेंगे जब तक इफ्तार में जल्दी करेंगे। जैसे ही सूर्यास्त का यकीन हो जाए बिना देर किए खजूर या पानी वगैरा से रोज़ा खोल लें। रोज़ा खोलकर दुआ मांगें। पैग़ंबर-ए-आज़म ने फरमाया कि मेरी उम्मत मेरी सुन्नत पर रहेगी जब तक इफ्तार में सितारों का इंतजार न करेगी। पैग़ंबर-ए-आज़म ने फरमाया कि जब तुम में कोई रोज़ा इफ्तार करें तो खजूर या छुहारे से इफ्तार करे कि वो बरकत है और अगर न मिले तो पानी से कि वो पाक करने वाला है। इस हदीस से यह तरगीब दिलायी गई है कि हो सके तो खजूर या छुहारा ही से रोजा इफ्तार किया जाए कि ये सुन्नत है और अगर खजूर मयस्सर न हो तो फिर पानी से इफ्तार कर लो कि ये भी पाक करने वाला है।

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