दिल्ली

साउथ दिल्ली के कंचन कुंज और श्रम विहार में बसे हुए रोहंगिया मुसलमानों की दर्द भरी दास्तान और हक़ीक़त

सर्वे, ग्राउंड रिपोर्ट
इंजीनियर मोहम्मद सैफुल मलिक
03-April-2022, Sunday
+919720315389

पहला कैम्प कंचन कुंज की रिपोर्ट
आज एक रमज़ान उल मुबारक को दिल्ली के कंचन कुंज में बसे रोहंगिया मुसलमानों के खेमों में जाना हुआ पहुंचते ही ऐसा लगा जैसे की ये लोग कैसे यहां ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं देखकर एक दम से आंखें नम से होने लगीं फिर सबसे पहले दो नौजवानों से मुलाकात हुई जो रोहंगिया के नौजवान थे उनसे हमने ज़रूरी मालूमात हासिल की उन्होंने बताया की इस कैंप में 45 परिवार रहते हैं जो काफ़ी टाइम से रह रहे हैं,नए परिवारों को जेल में डाल दिया गया था। फिर उन नौजवानों से पूरा हाल जानने के बाद उन्होंने कहा की पहले आप हमारे कैम्प के ज़िम्मेदार से मिल लीजिए वो जब हमें ले जाने लगे तो इधर उधर देखकर लग रहा था की ये रोहंगिया मुसलमान सिर्फ अपने मुसलमान होने की वजह से सताये गए लेकिन उनके जज़्बा ए ईमानी को सलाम , ज़ुल्म ओ जबर ऐसी कोई सी सूरत नहीं थी जो इन रोहंगिया मुसलमानों ने देखी न हो। उनका वतन छूट गया , अपने छूट गए उन्होंने बहुत से अपनो को खोया मगर अपने ईमान को मज़बूत रखा और आज इतनी मुश्किल ज़िन्दग़ी गुज़ार रहे हैं जिसे देखकर कलेजा मूंह को आता है, लाखों सलाम इन लोगों पर, जब वहां की ज़िम्मेदार एक खातून से बात हुई तो उन्होंने सूरत ए हाल बताई और हमने उनसे ये मालूम किया की यहां पर जो वेबा औरतों की कितनी तादाद है उन्होंने 15 तादाद बताई , फिर हमने मालूम किया की ऐसे कितने बूढ़े हैं जिनके घर कोई कमाने वाला नही है तो 5 तादाद बताई कुल मिलाकर उन 45 घरों में से 20 घर ऐसे हैं जिनके पास कोई कमाने वाला नही हैं , हमने उन ज़िम्मेदार खातून से कहा पहले हम इन 20 परिवारों की मदद करेंगे, बता दीजिए सबसे पहले क्या क्या चीज़ की ज़रूरत है उन्हे तफ़सील से बताया। इंशाअल्लाह इन 20 परिवारों की फ़ौरी तौर पर मदद की जायेगी , बाक़ी के 25 परिवारों की मदद भी करनी है।

दूसरा कैंप श्रम विहार की रिपोर्ट
आज ही जब श्रम विहार पहुंचे तो इंतहाई धूल धक्काड़ और स्लम वाले इलाके में अपनी ज़िन्दग़ी गुज़ार रहे वो रोहंगिया मुसलमान और ख़्वातीन ए इस्लाम और छोटे छोटे बच्चों को देखकर और उन खेमों की हालत को देखकर ऐसा लगा जैसे हम कितने बड़े मुजरिम हैं की अपने रसूलﷺ की उम्मत की ख़बर तक न ले सके और कितनी देर से पहुंचे हैं यहां , जब सबसे पहले हमने आवाज़ दी तो एक ख़ातून ने बताया की सब लोग काम करने गए हैं तो उन्होंने अपने छोटे बच्चे को कहा इनको कैंप के ऑफिस तक पहुंचा आओ वो छोटा बच्चा हमारे आगे आगे चल रहा था और मेरा दिल ये कह रहा था की इन बच्चों ने अपने खेलने कूदने की उम्र में ही, कितना ज़ुल्म देखा होगा, ना जाने कितने बच्चे वक्त से पहले ही यतीम हो गए , इनके प्यारे इनसे छीन लिए गए। अल्लाह हु अकबर

जब ऑफिस(झोपड़ी) पहुंचे तो वहां तो वहां के ज़िम्मेदारान से मुलाक़ात हुई हमने तहरीक फरोग़ ए इस्लाम का हवाला दिया, गुफ़्तगू शुरू हुई मालूम हुआ कि जो भी मदद को आता है वो इस ऑफिस में समान दे जाता है और यहां से सबको तक़सीम किया जाता है, उन्होंने हमको लिस्ट दिखाई जिसमे 109 परिवारों के नाम थे जो रजिस्टर्ड रिफ्यूजी हैं, हमनें उनसे भी यही मालूम किया की इनमे से वेबा और बूढ़े परिवारों की कितनी तादाद है उन्होंने कहा की ये हम आपको व्हाट्सएप कर देंगे।

मदद की ज़रूरत तो वहां हर परिवार को ही है, बहुत परेशानी है वहां लेकिन कुछ परिवारों में नौजवान लड़के हैं मेहनत मज़दूरी करके गुज़ारा कर रहे हैं लेकिन सबसे ज़्यादा मदद की ज़रूरत यतीम बच्चों,बेवाओं और बूढ़ों को है

मेरी क़ौम के लोगों इन रोहंगिया मुसलमानों का कोई कसूर नहीं था सिवाये इसके की ये उम्मत ए मुस्लिमा का हिस्सा हैं आज इन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है लेकिन मुझे तो फ़िक्र इस बात की हुई की ये तो इतने ज़ुल्म और सितम के बाद भी अपने ईमान पर डटे हुए हैं, अपना वतन छोड़ दिया , अपने प्यारे छोड़ दिए , हिजरत कर ली , सताये गए , लेकिन इस्लाम इनके सीनों में आज भी ज़िंदा है,
हम इतने आराम के बाद भी अपने दीन के लिए चल नही सकते, कहते हैं जी दीन तो बहुत मुश्किल है?

वल्लाह, उन छोटे छोटे बच्चों की मुस्कुराहट, नौजवानों के अंदर ईमान का जज़्बा और ख़्वातीन ए इस्लाम के अंदर गैरत और पर्दे की अहमियत देखकर ईमान ताज़ा हो गया

ये दुखों की दास्तान तो बहुत लंबी है कहां तक बयान करूं…….

दोनो जगह के कुल मिलाकर 45+109= 154 परिवार हैं सबकी अलग अलग परेशानियां हैं , अब इन लोगों की मदद करना है सारी उम्मते मुस्लिमा का दर्द, हमारा दर्द है और इसके लिए हमें मेहनत करना होगी इसी सिलसिले में तहरीक निज़ाम ए मुस्तफाﷺ के शोअबा अल इन्फ़ाक(राहे खुदा में खर्च करो) के तहत मदद की जायेगी जैसे भी मुमकिन होगा, जितने वसाइल होंगे, जितनी अल्लाहﷻ तौफीक़ देगा,

इस पूरी सर्वे में साथ मौजूद रहे अख़लाक़ हसन खान भाई (अकाउंटेंट, सेंट्रल ऑफ़िस, जामिया मिल्लिया इस्लामिया) को अल्लाहﷻ जज़ा ए ख़ैर अता फ़रमाये। आमीन

सर्वे से जुड़ी तस्वीरें‌ यहां देखें।

समाचार अपडेट प्राप्त करने हेतु हमारा व्हाट्सएप्प ग्रूप ज्वाइन करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *