गोरखपुर

रमज़ान मुबारक का हुआ आगाज़, पहला रोजा आज, तरावीह की नमाज़ शुरु

गोरखपुर। शनिवार को तंजीम उलमा-ए-अहले सुन्नत की चांद कमेटी के मुफ्ती खुर्शीद अहमद मिस्बाही (क़ाज़ी-ए-शहर), मुफ्ती अख़्तर हुसैन (मुफ्ती-ए-शहर), मुफ्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी (नायब क़ाज़ी), मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी, मुफ्ती मुनव्वर रज़ा, मौलाना असलम, कारी अफजल, कारी मोहम्मद अनस रज़वी, मौलाना दानिश रज़ा अशरफी आदि ने मुबारक रमज़ान माह के चांद की तस्दीक के बाद ऐलान किया। ऐलान के साथ शहर की फिजा में रौनक-ए-बहारा छा गई। मुस्लिम समुदाय में हर ओर खुशियां फैल गई। सभी ने एक-दूसरे को रमज़ान की मुबारकबाद पेश की। सोशल मीडिया पर मुबारकबाद के मैसेज फैलने लगे। अकीदतमंदों ने सोशल मीडिया के फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्ट्राग्राम आदि पर प्रोफाइल पिक्चर बदल कर रमज़ान मुबारक का वॉल पेपर लगाया। सभी अल्लाह तआला की इबादत में जुट गए। सभी ने अपने गुनाहों की माफी मांगी और अल्लाह की रहमत का अहसास किया।

रमज़ान शरीफ़ का पहला अशरा ‘रहमत’ का शुरु हो गया। रविवार को पहला रोजा रखा जाएगा और एक महीने बाद खुशियों का त्योहार ईद परम्परागत रुप से मनाया जाएगा। पहला रोजा करीब 14 घंटे 1 मिनट का होगा।

चांद के साथ तरावीह के नमाज़ की तैयारी शुरु हो गई। मस्जिदों में पुरुषों ने तरावीह की नमाज़ पढ़ी। घरों और मस्जिदों में क़ुरआन शरीफ़ की तिलावत शुरु हो गई। घरों पर महिलाओं ने तरावीह की नमाज़ पढ़ी और अन्य इबादतें शुरु की। नमाज़, तिलावत, तस्बीह व दुआ का सिलसिला चल पड़ा। जो लगातार एक माह तक जारी रहेगा। लोगों ने अल्लाह की हम्द व सना की और अल्लाह की इबादत में मशगूल हो गए। तरावीह की नमाज़ खत्म होने के साथ ही लोग रविवार से शुरु होने वाले रोजे की सहरी और इफ्तार की तैयारियों में जुट गए। चांद दिखने के बाद सहरी की तैयारी ने बाज़ारों की चांदनी बढ़ा दी। जाफ़रा बाज़ार, नखास चौक, घंटाघर, रेती, इलाहीबाग और गोरखनाथ जैसे इलाकों मेें सहरी और इफ्तारी के सामानों के लिए पहले सी सजी दुकानों पर खासी भीड़ देखने को मिली। मोहल्ले के नुक्कड़ भी लोगों के उत्साह से लबरेज दिखे। कहीं सेवईयां खरीदी जा रही थीं तो कहीं खजूर। सेवईयाें व खजूर की क्वालिटी को लेकर लोग संजीदा दिखे। यह रौनक पूरे एक माह तक बरकरार रहेगी।

यहां पढ़ी गई तरावीह की नमाज

शनिवार को शहर व देहात की छोटी बड़ी सभी मस्जिदों व कई मदरसों में तरावीह में बीस रकात नमाज़ अदा की गई। मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवाना बाज़ार, लाल जामा मस्जिद गोलघर, हज़रत मुबारक खां शहीद मस्जिद नार्मल, हुसैनी जामा मस्जिद बड़गो, नूरानी मस्जिद तरंग क्रासिंग हुमायूंपुर उत्तरी, मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक, नूरी जामा मस्जिद अहमदनगर चक्शा हुसैन, क़ादरिया मस्जिद निकट कोतवाली नखास चौक, सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाजार, बेलाल मस्जिद इमामबाड़ा अलहदादुपर, मदरसा अंजुमन इस्लामिया के पीछे वाली मस्जिद खूनीपुर, कलशे वाली मस्जिद मिर्जापुर, मुकीम शाह जामा मस्जिद बुलाकीपुर गॉर्डन हाउस मस्जिद जाहिदाबाद गोरखनाथ, सुब्हानिया जामा मस्जिद सूर्यविहार कॉलोनी तकिया कवलदह, रज़ा मस्जिद जाफ़रा बाज़ार, चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर, मस्जिदे जामे नूर जफ़र कालोनी बहरामपुर, गाजी मस्जिद गाजी रौजा, गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर, बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर, काजी जी की मस्जिद इस्माइलपुर, मियां बाज़ार पूरब फाटक मस्जिद सहित जिले की सभी मस्जिदों में तरावीह की नमाज़ अदा की गई।

इन्होंने पढ़ाई तरावीह की नमाज़

हाफ़िज़ मो. आरिफ़ रज़ा इस्माईली, हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी, हाफ़िज़ मो. औरंगज़ेब, हाफ़िज़ महमूद रज़ा क़ादरी, हाफ़िज़ अयाज, हाफ़िज़ मो. अशरफ, हाफ़िज़ मो. मोइनुद्दीन निजामी, हाफ़िज़ शादाब आलम, हाफ़िज़ अफजल, हाफ़िज़ मो. शहीद रज़ा, हाफ़िज़ मिनहाजुद्दीन, हाफ़िज़ मो. वहाजुद्दीन, मौलाना सद्दाम हुसैन निज़ामी, हाफ़िज़ मो. मुजम्मिल रज़ा, हाफ़िज़ शमसुद्दीन, हाफ़िज़ शराफत हुसैन क़ादरी, हाफ़िज़ मोहसिन रज़ा, हाफ़िज़ सद्दाम हुसैन, हाफ़िज़ आमिर हुसैन निजामी, हाफ़िज़ मो. फुरकान, हाफ़िज़ अब्दुल अज़ीज़, हाफ़िज़ अमीर हम्ज़ा, हाफ़िज़ हसन रज़ा आदि ने तरावीह की नमाज़ पढ़ाई। हाफ़िज़-ए-क़ुरआन को तरावीह की नमाज़ में नमाज़ियों को पूरा क़ुरआन शरीफ़ सुनाना है।

सुन्नी टाइम टेबल

-पहला रोजा (3 अप्रैल 2022)
सहरी – 4:20 बजे सुबह
इफ्तार – 6:21 बजे शाम

-दूसरा रोजा (4 अप्रैल 2022)
सहरी – 4:18 बजे सुबह
इफ्तार – 6:21 बजे शाम

उलमा-ए-किराम ने कहा

मुफ्ती मो. अजहर शम्सी (नायब क़ाज़ी) ने बताया कि तरावीह की नमाज़ मर्द व औरत सबके लिए सुन्नते मुअक्कदा है। उसका छोड़ना जायज नहीं। तरावीह की नमाज़ 20 रकात है। तरावीह की नमाज़ पूरे माह-ए-रमज़ान में पढ़नी है। रमज़ान में तरावीह नमाज़ के दौरान एक बार खत्मे क़ुरआन करना सुन्नत हैं। दो बार खत्म करना अफ़ज़ल हैं। तीन बार क़ुरआन मुकम्मल करना फज़ीलत माना गया है। फिक्ह हनफ़ी के मुताबिक औरतों का जमात से नमाज़ पढ़ना जायज नहीं है। वह घर में ही तन्हा-तन्हा तरावीह की नमाज़ पढ़ेंगी।

मुफ्ती अख्तर हुसैन (मुफ्ती-ए-शहर) ने बताया कि रमज़ान में न सिर्फ बंदों पर रोजे फ़र्ज़ किए गये बल्कि अल्लाह पाक ने सारी आसमानी किताबें रमज़ान के महीने में उतारी। क़ुरआन शरीफ़ इसी माह में नाजिल हुआ।

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