गोरखपुर शिक्षा

बकाया 54 माह का मानदेय, भेजा सवा 6 दिन का

मदरसा आधुनिकीकरण योजना

गोरखपुर। मदरसों में तैनात आधुनिक विषयों (हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित व सामाजिक विज्ञान) के शिक्षकों के साथ केंद्र सरकार ने एक बार फिर मजाक किया है। शिक्षकों का करीब 54 माह से अधिक का मानदेय बकाया है, लेकिन सरकार ने स्नातक शिक्षकों के लिए महज सवा 6 दिन का मानदेय जारी किया है। परास्नातक/बीएड शिक्षकों के लिए तीन माह सात दिन का मानदेय भेजा है। वहीं राज्य सरकार पर कई माह का राज्यांश भी बाकी है। जिसे राज्य सरकार को देना है। मानदेय की मांग को लेकर शिक्षक लखनऊ से लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर तक कई बार धरना दे चुके हैं।

जारी हुआ मानदेय का बजट

निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण ने सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को केंद्र सरकार की ओर से जारी मानदेय का बजट भेजा है। गोरखपुर के 107 मदरसे के 313 शिक्षकों के लिए 10200047 रुपये आवंटित हुए हैं। बजट के हिसाब से जनपद के 47 स्नातक शिक्षकों को सवा छह दिन का मानदेय मात्र 1251 रुपये व 266 परास्नातक/बीएड शिक्षकों को तीन माह सात दिन का मानदेय 38125 रुपये मिलेगा। सरकार के इस रवैये से मदरसा शिक्षकों में बहुत गुस्सा है।

सरकार मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों के साथ कर रही सौतेला व्यवहार

मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत केंद्र सरकार को स्नातक शिक्षक को छह हजार रुपये और स्नातकोत्तर/बीएड शिक्षक को 12 हजार रुपये मानदेय देना होता है। वहीं राज्य सरकार को स्नातक शिक्षक को दो हजार रुपये और स्नातकोत्तर/बीएड शिक्षक को तीन हजार रुपये अलग देना होता है। केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाला मानदेय करीब 54 माह से नहीं मिला है। वहीं कई माह का राज्यांश भी बाकी है। अखिल भारतीय मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के मंडल अध्यक्ष नवेद आलम व मोहम्मद आज़म ने बताया कि सरकार जांच के नाम पर शिक्षकों को अपमानित करती है, लेकिन जब मानदेय देने की बात आती है तो ख़ामोशी अख़्तियार कर लेती है। जो निंदनीय है। मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।

बेटे के इलाज में कर्जदार हो गए आसिफ

जमुनहिया बाग के आसिफ महमूद खान आधुनिकीकरण शिक्षक हैं। उनका सात साल का बच्चा थैलीसीमिया बीमारी से पीड़ित है। दो माह में दो बार उसे खून चढ़ाया जाता है। समय से मानदेय नहीं मिला तो लोगों से कर्ज लेकर बेटे का इलाज कराया। बकौल आसिफ, अगर बकाया मानदेय एकमुश्त मिलता तो कर्ज उतार देता, लेकिन महज तीन माह के मानदेय में क्या होगा। अब तो कोई कर्ज भी नहीं देगा। डॉक्टर ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए 20 से 22 लाख रुपये का इंतजाम करने के लिए कहा है। मेरी सरकार से यह मांग है कि हम सभी मदरसा शिक्षकों को समायोजित कर यह योजना बंद कर दे।

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