लखनऊ

हाफिज़े मिल्लत इन्किलाबी शख़्सियत के मालिक थे: मौलाना बदरुद्दीन मिस्बाही

प्रेस रीलीज़/लखनऊ 17जनवरी//
दारुल उलूम निज़ामीया निज़ाम पूर मल्होर में उर्स हाफिज़े मिल्लत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुरादाबादी अलैहि अलरहमा के मौक़ा पर एक तक़रीब का इनइक़ाद किया गया। इस मौक़ा पर मौलाना बदरुद्दीन मिस्बाही निज़ामी ने अपने ख़िताब में कहा कि हुज़ूरहाफिज़े मिल्लत अलैहि अलरहमा एक अह्द साज़ और इन्क़िलाब आफ़रीं शख़्सियत के मालिक थे।उन्होंने अपनी ज़िंदगी के क़ीमती लमहात दीं मतीन की ख़िदमत में गुज़ारे।उन्होंने कहा कि हुज़ूर हाफ़िज़ मिल्लत का सबसे बड़ा कारनामा जामिया अशर्फ़ीया मुबारकपूर है।जहां से अब तक हज़ारों की तादाद में उल्मा किराम फ़ारिग़ हो कर हिन्दुस्तान समेत दुनिया के कई मुल्कों में दीन की ख़िदमत अंजाम दे रहे हैं। हुज़ूर हाफिज़े मिल्लत ने अपने इलम व फ़न और तक़्वा व तहारत से आलम-ए-इस्लाम को मुनव्वर-ओ-रोशन किया जिन की चमक से आज भी इलमी, अमली,आफ़ाक़ी और इन्क़िलाबी दुनिया मुनव्वर-ओ-ताबनाक है और जिन से फ़ैज़ याफ्ता अफ़राद आज भी पूरी जद्द-ओ-जहद के साथ उनके मिशन को बरक़रार रखा है और इस के फ़रोग़ के लिए कोशां है।

उन्होंने कहा कि हुज़ूर हाफ़िज़ मिल्लत अलैहि अलरहमा आप अपनी मुख़्तसर सी ज़िंदगी में इलमी और अमली दुनियामें ज़बरदस्त इन्क़िलाब बरपा किया।आप अलैहि अलरहमा जहां इलम-ओ-हिक्मत और फ़िक्र-ओ-नज़र में आला मुक़ाम पर फ़ाइज़ थे वहीं इख़लास-ओ-एहसान और तक़्वा आपका शआर था।अख़लाक़ हसना और आदात जमीला आपका इमतियाज़ी वस्फ़ था।अ

प्रोग्राम का आग़ाज़ क़ारी रोशन की क़ुरान-ए-पाक की तिलावत से हुआ। मुहम्मद उवैस रज़ा ने मनक़बत का नज़राना पेश किया।प्रोग्राम का इख़तताम सलाम और मौलाना बदरुद्दीन की दुआ पर हुआ

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