उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022
۞आधा दर्जन सीटों पर दे रहे हैं टक्कर
۞ज्यादातर हैं लखपति व करोड़पति
गोरखपुर। गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 विधानसभा सीटों पर 3 मार्च को मतदान होना है। दोनों मंडल में करीब 51 मुस्लिम उम्मीदवार पूरे दमखम के साथ मैदान में हैं। आधा दर्जन सीटों पर कड़ी टक्कर भी दे रहे हैं।
सपा ने रामपुर कारखाना विस से गजाला लारी व डुमरियागंज विस से सैयदा खातून, बसपा ने खलीलाबाद विस से आफताब आलम, मेंहदावल से मोहम्मद ताबिश खान, फाजिलनगर विस से इलियास, खड्डा विस से डॉ. निसार अहमद सिद्दीकी, गोरखपुर शहर विस से ख़्वाजा शमसुद्दीन, कप्तानगंज विस से जहीर अहमद, पथरदेवा से परवेज आलम, कांग्रेस ने रामपुर कारखाना विस से शहला अहरहरी, पथरदेवा विस से अंबर जहां, पडरौना विस से मोहम्मद जहीरुद्दीन, मेंहदावल विस से रफीका खातून, इटवा विस से अरशद खुर्शीद को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं एआईएमआईएम-पीस पार्टी-आप-निर्दल के करीब 37 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं।
यह हैं मुकाबले में
खलीलाबाद वि०स० से पीस पार्टी के डॉ. मो. अयूब, बसपा के आफताब आलम सपा, भाजपा व कांग्रेस उम्मीदवार को टक्कर दे रहे हैं। मो. अयूब को बैरिस्टर असद्दुदीन औवेसी व चंद्रशेखर आज़ाद रावण का समर्थन मिला है। यहां मुस्लिम वोटर निर्णायक की भूमिका में हैं। वहीं रामपुर कारखाना विस से सपा की गजाला लारी, डुमरियागंज विस से सपा की सैयदा खातून, मेंंहदावल विस से बसपा के मो. ताबिश खान, फाजिलनगर विस से बसपा के इलियास, खड्डा विस से बसपा के डॉ. निसार अहमद, इटवा विस से कांग्रेस के अरशद खुर्शीद आदि भी मुकाबले में हैं।
करोड़पति, पढ़े-लिखे व महिला उम्मीदवार
डॉ. मोहम्मद अयूब (खलीलाबाद – पीस पार्टी), आफताब आलम (खलीलाबाद – बसपा), मो. इस्लाम (गोरखपुर ग्रामीण – एआईएमआईएम), इलियास (फाजिलनगर – बसपा), डॉ. निसार अहमद (खड्डा – बसपा), मो. मुख़्तार वसीम (खड्डा – एआईएमआईएम), जावेद खान (पडरौना – एआईएमआईएम), मो. ताबिश खान (मेंहदावल -बसपा), परवेज आलम (पथरदेवा – बसपा), ज़ियाउल हक़ (पथरदेवा – आप), गजाला लारी (रामपुर कारखाना – सपा), जहीर अहमद (कप्तानगंज – बसपा), महफूज अली (रुदौली – पीस पार्टी), डॉ. मो. सरफराज (शोहरतगढ़ – कांग्रेस), सैयदा खातून (डुमरियागंज – सपा), अरशद खुर्शीद (इटवा – कांग्रेस) आदि करोड़पति हैं। इसके अलावा ज्यादातर लखपति हैं। कई उम्मीदवारों पर केस भी दर्ज है। मुस्लिम उम्मीदवारों में डॉक्टर, इंजीनियर, अधिवक्ता, शिक्षक, किसान, बिजनेसमैन हैं। मुस्लिम महिला उम्मीदवारों में गजाला लारी, सैयदा खातून, मरियम खातून, शहला अहरारी, अंबर जहां, रफीका खातून आदि का नाम शामिल है।
मुसलमानों की बदहाली नहीं बन पाती मुद्दा
गोरखपुर-बस्ती मंडल में लाखों बुनकर, मीट कारोबारी व उससे जुड़े कारोबारी, मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक कई सालों से रोजी रोटी के संकट से जुझ रहे हैं। उनका मानना है कि वर्तमान केंद्र व राज्य सरकार ने मुसलमानों में सिर्फ निराशा व भय का वातावरण दिया है। उप्र की सियासत में मुसलमानों की अहम भूमिका रही है। ज्यादातर सीटों पर सपा, बसपा, कांग्रेस अन्य वोटरों के साथ मुस्लिम वोटों पर ही निर्भर रहते हैं जबकि भाजपा की कोशिश रहती है कि मुस्लिम वोट बंटे। माना जाता है कि गोरखपुर-बस्ती मंडल के सात जिलों की 41 सीटों में से 13 सीटों पर मुस्लिम वोटरों का खास प्रभाव है। सभी पार्टियों की निगाहें खलीलाबाद, डुमरियागंज, शोहरतगढ़, मेंहदावल, इटवा, , मेंहदावल, गोरखपुर ग्रामीण, पिपराइच, फाजिलनगर, कुशीनगर, पडरौना, बांसी, पथरदेवा, रामपुर कारखाना, पनियरा आदि मुस्लिम बाहुल्य इलाकों पर लगी हुई हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र की शोहरतगढ़, इटवा व डुमरियागंज विस सीट से बसपा के तीन मुस्लिम उम्मीदवार बहुत कम वोटों के अंतर से हार गए थे। यहां मुस्लिम वोट पाने की सपा-बसपा-कांग्रेस-एआईएमआईएम-पीस पार्टी में होड़ है।
पिछले विधानसभा चुनाव में यह थी स्थिति
पिछले विधानसभा चुनाव में देवरिया जिले की रामपुर कारखाना विस सीट से सपा की गजाला लारी 9,987 वोट से हार कर जीत की हैट्रिक लगाने से चूक गयीं थीं। वहीं पथरदेवा विस सीट से सपा के शाकिर अली 42,997 वोट से हार कर दूसरे स्थान पर रहे थे। कुशीनगर जिले की पडरौना विस सीट से बसपा के जावेद इकबाल 40,532 वोट से हार कर दूसरे स्थान पर रहे थे। गोरखपुर जिले की पिपराइच विस सीट से बसपा के आफताब आलम ‘गुड्डू’ मात्र 12,809 वोट से चुनाव हार गए थे। संतकबीरनगर जिले की खलीलाबाद विस सीट से बसपा के मशहूर आलम चौधरी 16,037 वोट से चुनाव हारे थे। सिद्धार्थनगर जिले की डुमरियागंज विस सीट से बसपा की सैयदा खातून मात्र 171 वोट से चुनाव हार गयीं थीं। यहां का परिणाम सबसे ज्यादा चौंकाने वाला था। वहीं इटवा विस से बसपा के अरशद खुर्शीद भी मात्र 10,208 वोट से हार गए थे। शोहरतगढ़ से बसपा के मो. जमील भी मात्र 22,124 वोट से चुनाव हारे थे। अबकी विस चुनाव में कई उम्मीदवार पाला बदल कर चुनाव लड़ रहे हैं।
दिलचस्प पहलू, यह भी जानें
उप्र विधानसभा का चुनावी इतिहास बताता है कि दोनों मंडलों में कभी 4 से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार विधायक नहीं बन पाए हैं। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में डुमरियागंज से बसपा के तौफीक अहमद, मेंहदावल से सपा के अबुल कलाम व सलेमपुर से सपा की गजाला लारी चुनाव जीतने में कामयाब हुई थीं। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में डुमरियागंज से पीस पार्टी के मलिक कमाल युसुफ, खलीलाबाद से पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मो. अयूब, देवरिया के पथरदेवा से सपा के शाकिर अली व रामपुर कारखाना से सपा की गजाला लारी ने जीत हासिल की थी।
बताते चलें कि गोरखपुर-बस्ती मंडल की 9 लोकसभा सीटों पर आज़ादी के बाद से सिर्फ तीन मुस्लिम उम्मीदवार (डुमरियागंज व महराजगंज लोकसभा सीट) सांसद बनने में कामयाब हुए हैं। दोनों मंडल की 7 सीट (गोरखपुर, संतकबीरनगर, बस्ती, सलेमपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव) पर आज़ादी के बाद से मुस्लिम उम्मीदवार का खाता तक नहीं खुला है। बांसगांव सुरक्षित सीट को छोड़कर तकरीबन हर लोकसभा में मुस्लिम उम्मीदवार खड़े तो जरूर होते हैं लेकिन जनता का वोट पाने में नाकाम रहते हैं। महराजगंज लोकसभा सीट पर वर्ष 1980 में अशफाक हुसैन अंसारी कांग्रेस (आई) के टिकट पर चुनाव जीते थे। मुस्लिम वोटरों की अधिकता वाली डुमरियागंज लोकसभा सीट पर वर्ष 1980 व 1984 में काजी जलील अब्बासी कांग्रेस के टिकट पर तो वर्ष 2004 में मो. मुकीम बसपा के टिकट पर चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे।