गोरखपुर शिक्षा

नेपाल के आसिफ रज़ा गोरखपुर में बने हाफ़िज़-ए-क़ुरआन

रमज़ान में तरावीह की नमाज़ पढ़ायेंगे

गोरखपुर। कोरोना कॉल व लॉकडाउन में जहां ज़िन्दगी में उथल पुथल थी वहीं नेपाल के 16 वर्षीय होनहार छात्र आसिफ रज़ा ने गोरखपुर में रहकर पूरा क़ुरआन-ए-पाक कंठस्थ (हिफ़्ज़) कर लिया। आसिफ रज़ा हाफ़िज़-ए-क़ुरआन बन गए हैं। इनकी दस्तारबंदी मार्च माह में मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाज़ार में होगी। इनके साथ ही महराजगंज के रहने वाले 18 वर्षीय मंज़रे आलम व गोरखपुर के घासीकटरा में रहने वाले 16 वर्षीय शाकिब रज़ा भी हाफ़िज़-ए-क़ुरआन बन गए हैं। इनकी भी दस्तारबंदी मार्च में होगी। यह तीनों छात्र अबकी रमज़ान में अवाम को तरावीह की नमाज़ भी पढ़ायेंगे।

आसिफ रज़ा, मंज़रे आलम व शाकिब रज़ा ने पूरा क़ुरआन-ए-पाक मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाज़ार के शिक्षक कारी शरफुद्दीन क़ादरी की देखरेख में कंठस्थ (हिफ़्ज़) किया।

आसिफ़ रज़ा ने क़ुरआन-ए-पाक करीब चार साल में हिफ़्ज किया। इस बीच कोरोना कॉल व लॉकडाउन में भी आसिफ रज़ा ने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी। मजबूत इरादों व लगन के साथ ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन मेहनत से पढ़ाई कर यह मुकाम हासिल किया। आसिफ की सफलता पर परिवार, शिक्षक व साथी बहुत ही खुश हैं और मुबारकबाद पेश कर रहे हैं।

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