लेखक: ज़बीउललाह ज़बी
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किसी भी व्यक्ति का संघर्ष अगर सफल हो जाए तों दुनिया ही उसके लिए स्वर्ग बन जाती है, लेकिन संघर्ष करना किसी भी इंसान के लिए श्राप से कम नहीं होता। इस लिए श्रापित जीवन को सभी स्वीकार नहीं कर पाते। हम जिस युग में जी रहे हैं और ख़ास करके मध्यम वर्ग के परिवार के बच्चों को बहुत संघर्ष करना होता है, कोई भी चीज़ थाली में सजी सजायी नहीं मिलती, ईश्वर है या नहीं,भाग्य में ये था, वो था, भाग्य में ये नहीं लिखा था, हम मध्यम वर्ग के लोगों की भाग्य में बड़ी आस्था होती है, लेकिन मेरा मानना है कि हम मध्यम वर्ग के लोग अपना भाग्य ख़ुद लिखते हैं और लिखते रहेंगे। ऐसा ही मेरा एक मित्र है जिसने अपना भाग्य ख़ुद लिखा है, कहने को तो वो एक किसान का बेटा है लेकिन उसके हौसले बहुत बुलन्द हैं,इन बुलंद हौसलों ने ही उसे धरती से आकाश पर पहुंचाया है, वो मेरी दृश्य में हमेशा से आकाश का एक सितारा था, जिसे मैंने हमेशा चमकते, लहलहाते और मुस्कराते देखा है, अति शांत स्वभाव का व्यक्ती है, उसका व्यक्तित्व हर किसी को प्रेरित करता है, उससे स्नेह और प्रेम करने को कहता है, मित्रता में परिपूर्ण, समाज में सामाजिक प्राणी, शिक्षा में हमेशा अती उत्तम,उसका व्यक्तित्व कुछ ऐसा है। अगर ईश्वर है तो वो वर्षों में ऐसा व्यक्तित्व एक बार बनाता है, मेरा मित्र एक साधारण व्यक्ति है लेकिन इसके बावजूद उसके अन्दर बहुत सी ख़ूबीयां हैं, उसे आप भी जानते हैं, मैं उसी मित्र की बात कर रहा हूं जिसे आप नसीम फ़ैज़ी के नाम से जानते हैं, नसीम को आप शायद इतना नहीं जानते होंगे जितना कि मैं जानता हूं, नसीम उसी शहर का वासी है जो कभी नवाबों का केंद्र हुआ करता था, आज उस शहर को हम आप बाबा भीम राव अम्बेडकर नगर के नाम से जानते हैं, नसीम वहाँ के एक छोटे से गांव में पले बड़े, उस गाँव को कठघर मूसा जलालपूर के नाम से जाना जाता है, प्रारंभिक शिक्षा इन्होंने गांव से ही प्राप्त की, इनके पिता पेशे से किसान हैं जो कटघर मूसा में ही रह कर खेती का काम करते हैं, इनकी माता एक धार्मिक और घरेलू स्त्री हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन परिवार को समर्पित किया, इनकी माता का नाम राबिया ख़ातून है। नसीम एक सभ्य परिवार से आते हैं जिन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा के बाद लखनऊ नदवा से धार्मिक शिक्षा 2014 में पूरा किया है, शिक्षा इनके निकट किसी भी व्यक्ति का आत्म सम्मान है, शिक्षा ग्रहण करना संविधानिक हर व्यक्ति का अधिकार है इसलिए हर वर्ग के लोगों को शिक्षा ग्रहण करना चाहिए। इसी इरादे के तहत नसीम ने धार्मिक शिक्षा के अलावा, दुनियावी शिक्षा भी ग्रहण करने का इरादा किया। और ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ से बी. ए. और एम. ए. किया ।नसीम ने बी. ए उर्दू में गोल्ड मेडल और एम. ए. में सिल्वर मेडल प्राप्त किया है। इसके अलावा नसीम ने अभी इस वर्ष उर्दू विषय में ही यूजीसी नेट जे. आर. एफ़ का परीक्षा भी पास किया है, जो उर्दू दुनिया में वार्तालाप का विषय बना हुआ है। नसीम ने इस उपाधि का पाने के लिए कितना संघर्ष किया है ये शायद आपको नहीं पता होगा, एक समय में पढ़ना और कॉल सेंटर में नौकरी करना बहुत ही मुश्किल कार्य है, लेकिन नसीम ने इस मुश्किल कार्य को बहुत ही सुंदर तरीके से किया। अपने कार्य और कड़ी मेहनत से समाज को प्रेरित करने का कार्य किया है, नसीम की गतिविधियां समाज के लिए उदाहरण है कि जीवन कितना भी संघर्षशील हो उसे अपने हौसले और मेहनत से आसान बनाया जा सकता है और सफ़लता की कुंजी का मालिक बना जा सकता है। उम्मीद है नसीम फ़ैज़ी की कहानी आपके लिए प्रेरणा बनेगी और आप भी आकाश के सितारे बनेंगे और नसीम की कहानी सुनाकर और सितारे आकाश में जड़ेंगे।