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इक्कीसवी सदी का लोक और भोजपुरी


प्रोग्रेसिव लिटरेरी एंड कल्चरल सोसाइटी (इंडिया) के किड्स फोरम ने ने 06 फरवरी को गूगल मीट ऑनलाइन प्लेटफार्म पर हिन्दी मे व्याख्यान, “इक्कीसवी सदी मे लोक और भोजपुरी” का आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत, PLCS अध्यक्ष डॉ शमेनाज़ ने सबसे पहले लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि दी जिनका सुबह देहांत हुआ। उन्होंने कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए कहा की “हम सब उत्तर भारत के लोग हैं और उत्तर भारत मे उत्तर प्रदेश भोजपुरी भाषा का गढ़ हैं।हमारे प्रदेश मे भोजपुरी भाषा की बहुत प्रासंगिकता हैं क्योकि इलाहाबाद, बनारस और कई शहरों मे यह भाषा बोली जाती हैं। बहुत लोग बोलते हैं और जो नहीं भी बोलते वह समझते हैं और अब भोजपुरी भाषा के छेत्र मे बहुत काम हो रहा हैं ।
उन्होंने कार्यक्रम की संचालक डॉ. जमुना बीनी जी (अरुणाचल प्रदेश) का परिचय दिया और उन्हें कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का निवेदन किया। जमुना बीनी ने लोक के विषय मे कहा की “लोक का अर्थ है सामान्य जन समुदाय और उन्हीं की संस्कृति लोक संस्कृति कहलाती है। वस्तुत: यह लोक संस्कृति लोक समाज का प्रतिरूप होता है। जन समुदाय के आचार-विचार, पहनावा, आस्था, कला इत्यादि लोक संस्कृति का अभिन्न अंग होता है।
डॉ धीरेन्द्र प्रताप सिंह (इलाहबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज ) ने अपने वक्तव्य मे कहा की “प्रस्तुत विषय इक्कीसवीं सदी में तेजी से बदल रही लोक दुनिया ख़ासकर भोजपुरी भाषी लोक जीवन के विभिन्न आयामों पर केंद्रित है। जिसमें भोजपुरी भाषी क्षेत्रों में निवासित लोक जीवन के जीविका, प्रवासन, साहित्य, कला, संस्कृति, खान-पान, भाषिक बदलाव, फिल्म, गीत-संगीत, भोजपुरी की राजनीति, डिजिटल माध्यमों की भूमिका, अकादमिक जगत और संस्थानिक तथा वैयक्तिक प्रयासों से भोजपुरी की स्थिति से संबंधित आदि पक्ष सम्मिलित हैं। इन्हीं सब बिंदुओं के आलोक में प्रस्तुत विषय को देखने की कोशिश की जायेगी।”
कार्यक्रम का आभार डॉ शमेनाज़ ने किया और संचालन डॉ जमुना बीनी ने किया। वक्तव्य मे मे देश – विदेश के कई प्रोफेसर और स्टूडेंट ने भाग लिया।

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