गोरखपुर

वक्फ सम्पत्तियों में हेरा-फेरी पर लगेगी लगाम, आया आदेश

अवैध तरीके से अंतरण/विक्रय वक्फ सम्पत्तियां राजस्व अभिलेखों में पुनः वक्फ सम्पत्ति के तौर पर इन्द्राज होंगी

गोरखपुर। जिले में वक्फ की संपत्तियां के अंतरण करने या बेचने के दौरान नियमों की अनदेखी की गई है। शिया और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की बिक्री, खरीद और अंतरण में कथित अनियमितताओं की जांच शुरू है।

इस बाबत पिछले माह शासन से आदेश आ चुका है। प्रमुख सचिव के. रविन्द्र नायक ने प्रदेश के समस्त जिला मजिस्ट्रेट/अपर सर्वे आयुक्त को पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया है कि वक्फ सम्पत्तियों जिनका अवैध तरीके से अंतरण/विक्रय किया गया है, को प्रक्रियाओं का पालन एवं दुरुस्त कर नियमानुसार राजस्व अभिलेखों में पुनः वक्फ सम्पत्ति का इन्द्राज कराया जाए। पत्र में यह भी कहा गया है कि वक्फ संपत्तियों से अनाधिकृत कब्जे के अतिरिक्त राजस्व अभिलेखों में स्थानीय अधिकारियों, मुतवल्लियों एवं भू-माफियाओं द्वारा हेरा-फेरी की जा रही है।

बताते चलें कि गोरखपुर में भी बड़ी संख्या में वक्फ की संपत्तियां हैं और उसे अंतरण करने या बेचने के दौरान नियमों की अनदेखी की गई है। वहीं जिले में वक्फ संपत्तियों पर से अवैध कब्ज़ा हटाने का अभियान बहुत धीमा है। यह माना जा रहा है कि जांच का दायरा बढ़ा तो उसके जद में गोरखपुर के भी कई लोग आएंगे।

अनुमान के मुताबिक गोरखपुर एवं आसपास के जिलों में वक्फ की करोड़ों रुपये से अधिक की संपत्ति है। शहर का शायद ही कोई ऐसा मोहल्ला होगा जहां वक्फ की संपत्ति न हो, लेकिन दस्तावेजों में हेर-फेर कर वक्फ की सैकड़ों संपत्तियां अवैध तरीके से बेची जा चुकी है। वक्फ में दर्ज संपत्तियों को सरकारी दस्तावेजों में बतौर वक्फ दर्ज कराने के साथ-साथ नगर पालिका या नगर निगम के संपत्ति रजिस्टर में भी दर्ज कराना होता है, लेकिन वक्फ संपत्तियों की देखरेख का जिम्मा लेने वाले कई मुतवल्लियों ने सरकारी दस्तावेजों में दर्ज नहीं कराया जिससे उन्हें खुर्द-बुर्द करने में आसानी हो गई। कई ऐसे मामले सामने आए जिसमें मुतवल्ली ने वक्फ संपत्तियों को अभिलेखों में रिश्तेदारों के नाम दर्ज कराकर उसे बेच दिया। इस तरह की दर्जनों शिकायतों को जिला प्रशासन एवं जिला अप्लसंख्यक कल्याण विभाग ने कार्रवाई के लिए सुन्नी व शिया वक्फ बोर्ड भेजा, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। वहीं तमाम वक्फ संपत्ति पर अवैध कब्जे हैं तो कुछ पर बनी दुकानों का कोई लेखा-जोखा नहीं है।

बताते चलें कि एक बार यदि कोई संपत्ति का वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत हो गई तो फिर उसे बेचने का अधिकार किसी को नहीं है, बशर्ते किसी सक्षम न्यायालय से इस बार में कोई आदेश पारित न हो। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को वक्फ संपत्ति नहीं होने की घोषणा करने का अधिकार भी नहीं है।

गोरखपुर में करीब 1392 वक्फ संपत्तियां हैं। इनमें मकान, दुकान, जमीन, काम्पलेक्स, कब्रिस्तान व तकिया, मस्जिद, कर्बला, दरगाह एवं इमाम चौक शामिल है। हजारीपुर, पुर्दिलपुर, दिलेजाकपुर, अलीनगर, बेनीगंज, सिधारीपुर, रसूलुपर, गोरखनाथ, सिविल लाइंस, गोलघर, बेतियाहाता, कालेपुर, शाहमारुफ, उर्दू बाजार, मियां बाजार, दीवान बाजार, बक्शीपुर, सिनेमा रोड, बैंक राेड, मुफ्तीपुर, हांसूपर, विंध्वासिनी नगर, नियामतचक, शेखपुर, बसंतपुर, घंटाघर, नखास, रेती, नथमलपुर, इलाहीबाग, मोहरीपुर, कुसम्ही, चौरीचौरा, पिपराइच, छोटे काजीपुर के अलावा निचलौल, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज और सिद्धार्थनगर में भी वक्फ की करोड़ों रुपये की संपत्ति हैं।

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