गोरखपुर। तहरीक पासबाने अहले सुन्नत की ओर से रसूलपुर जामा मस्जिद में मजलिसे नूर नाम से परिचर्चा का आयोजन हुआ। जिसमें महिलाओं व पुरुषों ने हिस्सा लिया। कुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। नात-ए-पाक पेश की गई।
अपने आमाल से किसी को तकलीफ न पहुंचाएं : मौलाना जहांगीर
मुख्य वक्ता मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने कहा कि अपने आमाल से किसी को तकलीफ न पहुंचाएं। दीनी बातों पर जब तक आप खुद अमल नहीं करेंगे, तब तक लोगों को दीन के बारे में बताने और नसीहत करने का कोई फायदा नहीं मिलेगा क्योंकि लोग किसी के कहने से नहीं बल्कि उसके अमल को देखकर सीखते हैं। परिचर्चा का मकसद अच्छाइयों को अपने किरदार के जरिए आम करना है।
उन्होंने कहा कि अगर आप अपने दीन पर खुद अमल नहीं करते हैं तो आपकी सलाह और नसीहत को कोई तवज्जों नहीं मिल सकेगी। अल्लाह के बंदों को बुरे कामों से दूर रहना चाहिए। जिंदगी में अच्छे अमल लाएं। हर तरह की बुराई से खुद को बचाएं। दीनी उसूलों पर चलें। पैगंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नतों पर अमल करें। किसी के लिए नेकी करें तो दिल से करें। दिखावा न करें। दिल से नेकी का काम करेंगे तो किरदार बनेगा।
अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन व अमान और भाईचारगी की दुआ मांगी गई। परिचर्चा में सैयद नदीम अहमद, मौलाना शादाब, कारी असलम, सद्दाम शफक, इश्तियाक, शहनवाज़, शुएब, जुनैद, हाफिज आफताब आलम सहित तमाम लोगों ने हिस्सा लिया। यह परिचर्चा रसूलपुर जामा मस्जिद में हर पंद्रह दिन में आयोजित की जाएगी। जिसमें महिला व पुरुष दोनों हिस्सा ले सकते हैं। महिलाओं के लिए पर्दे का खास इंतजाम रहेगा।