गोरखपुर

शादी में न मांगें दहेज, न बजे बैंड-बाजा, खड़े होकर खाने-पीने पर लगे पाबंदी: मोहम्मद अहमद

गोरखपुर। छोटे काजीपुर में शनिवार देर रात जलसा हुआ। आगाज़ क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत से हुआ। नात व मनकबत मोहम्मद अफरोज क़ादरी ने पेश की।

अध्यक्षता करते हुए मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी ने कहा कि इस्लामी शरीअत पर मुसलमानों की जान क़ुर्बान है। मुसलमान शरीअत से कोई समझौता नहीं कर सकता है। अवाम को चाहिए कि दीन-ए-इस्लाम के साथ मजबूती से जुड़े रहें। निकाह-तलाक के मसले पर उलमा-ए-किराम की राय लेकर ही कोई फैसला किया करें। पारिवारिक विवाद सुलह समझौता से निपटाइए ताकि तलाक की नौबत न आने पाए और न ही कोर्ट कचहरी का चक्कर काटना पड़े। शादियों में होने वाली खुराफातों-फिजूल खर्ची, दहेज मांगने के रिवाज़, बैंड-बाजा, आतिशबाज़ी, खड़े होकर खाने-पीने पर पाबंदी लगाने की अपील करते हुए कहा कि शादी शरीअत के मिजाज से करें। बिना दहेज लिए शादी करें। बेटी को बचाएं भी और पढ़ाएं भी। मुसलमानों को चाहिए कि वह अपनी ज़िन्दगी रसूल-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नतों पर चलकर गुजारें। पड़ोसियों का हक़, आम इंसानों और मजदूरों का हक़ अदा करें। यतीमों, बेसहारा, विधवाओं पर रहम करें। गरीबों को खाना खिलाएं, कपड़ा पहनाएं। मरीजों का हालचाल पूछें। सच बोलें, ईमानदार बनें।

अंत में सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। जलसे में अब्दुल कादिर, कारी शमसुद्दीन, कारी अंसारुल हक़, मौलाना गुलाम दस्तगीर, मोहम्मद नाज़िम, सैयद शहाबुद्दीन, दानिश आदि मौजूद रहे।

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