धार्मिक सामाजिक

सबसे लमबी मस्ती

लेखक: मुशताक अहमद बरकाती खिलजी अनवारी

अल मोईन वेल्फेयर सोसायटी,पोकरण
7742082056

दौलत मन्दी की मस्ती से खुदा की पनाह मांगो यह एक ऐसी लमबी मसती है जिस से बहुत देर बाद होश आता है ।

आज का इंसान दौलत के नशे में इतना मद होश हो चुका है उसे बस दौलत के अलावा कोई चीज़ पयारी नहीं लगती,उसी मदहोशी की वजह से वोह गरीबों फकीरों को हकीर व कमज़ोर समझता है उसी दौलत की वजह से वोह तकबबुर (गुरूर)में मुबतला हो जा ता है, और अपनों को भुल जाता है , और दौलत कमाने की धुन में हलाल व हराम का खयाल नहीं रखता इसी
मदहोशी की वजह से वह छोटे बड़ों की कदर करना भुल जाता है,और वोह अपने आप को तुर्रम खां समझता है और यह नशा बढ़ते बढ़ते इतना असर करना शुरू कर देता है कि वह फिर मज़हबी लोगों के खिलाफ बकवास करने लगता है यहाँ तक कि वह इस नशे में मदहोश हो कर शरीअत की बातों की धज्जियां उड़ाने लगता है और बाज औकात कुफर की हद तक पहुंच जाता हैनशे के चुर में सबके सामने बड़ा दिखने के लिए कुफरीया काम कर देता है
ऐसी दौलत की मसती से अल्लाह पाक हम सब को महफ़ूज फरमाए
ऐसे बंदों को अगर दीन के लिए खर्च करने के लि कहा जाऐ तो वोह हजार बार सोच कर थोड़ी सी रकम बमुश्किल देते हैं लेकिन यही पैसा अगर नामुस के लिए देना शोहरत के लिए देना हो
तो बगैर कहे पैसा लौटाने पर तैयार हो जाता है ।

अल्लाह पाक रिज़के हलाल कमाने रिज़के हलाल खाने और ने क कामों में अपनी दौलत खर्च करने की तौफीक अता फरमाए
और दौलत की मसती से दुर रखे।

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