बरेली: पैगंबर मुहम्मद (PBUH) की शान में गुस्ताखी से देश भर में अशांति व्याप्त है। ऐसे में हजरत शेख तरीकत हजरत मनानी मियां साहिब किबला की अध्यक्षता में रज़ा एकेडमी ने एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की। जिसमे बड़ी संख्या में वकीलों और बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया।
बैठक को संबोधित करते हुए हजरत मौलाना डॉ शहाब-उद-दीन रिजवी ने अपने उद्घाटन भाषण में मेहमानों और शहर के प्रतिष्ठित नागरिकों और वकीलों का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि इस बैठक को बुलाने का उद्देश्य केवल भारत सरकार और प्रांतीय सरकार द्वारा शैतान वसीम रिज़वी की नापाक पुस्तक पर प्रतिबंध लगाने और वसीम रिज़वी की गिरफ्तारी की सुनिश्चित करने के लिए है। चीजों को गंभीरता से लें और कोशिश करें कि समस्या पर ज्यादा ध्यान न दें एक मुसलमान सब कुछ बर्दाश्त कर सकता है लेकिन इस्लाम के पैगंबर का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता।
उन्होने बताया, मुंबई से रजा एकेडमी के प्रवक्ता मौलाना मुहम्मद अब्बास रिजवी ने मुंबई के पैधोनी पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी भी दर्ज कराई है। जिसमें आरोपी की गिर’फ्तारी और उस अपमानजनक पुस्तक पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उन्होने कहा, धार्मिक घृणा फैलाने वालों पर अत्याचार किया जाना चाहिए ताकि नफरत के व्यापारी देश में धार्मिक हिंसा भड़काने की हिम्मत न करें। हजरत के समर्थक वसीम रिजवी की गिरफ्तारी और उसकी अपवित्र पुस्तक पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर सामने आए हैं। मुझे उम्मीद है कि इंशाअल्लाह यह सिलसिला अब नहीं रुकेगा।इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे और वह दिन दूर नहीं जब वसीम रिजवी को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उसकी विवादित किताब पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा, लेकिन मैं देश के हर मुसलमान से अपील करता हूं कि वसीम रिजवी के खिलाफ संविधान के दायरे में मुकदमा दर्ज कराये।
वहीं अल्हाज मुहम्मद सईद नूरी साहब ने कहा कि उन्हे उम्मीद है कि जैसे सलमान रुश्दी के शैतानी किताब पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, वैसे ही वसीम रिजवी की किताब पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। उन्होने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो देश भर की दरगाहों के सज्जादा नशीन और मशाइख सड़कों पर उतरेंगे।
हजरत मुफ्ती आजम हजरत मौलाना सिराज रजा, प्रिंस तहसीन मिलत इंजीनियर हजरत शोएब रजा ने भी सभा को संबोधित किया। उन्होने हाल ही में हुई अमरावती हिंसा को लेकर दोषी मुसलमानों को फंसाया नहीं जाना चाहिए और उनके खिलाफ अनुचित मामले नहीं लाए जाने चाहिए हम मिलाद मनाने वाले हों, दंगा करने वाले नहीं। दंगाइयों को पकड़ा जाए जो शरारत कर रहे हैं और हमारे पैगंबर की महिमा का अपमान करके देश में अराजकता पैदा करना चाहते हैं। सरकार को उन्हें तुरंत गिरफ्तार करना चाहिए और कानून-व्यवस्था स्थापित करनी चाहिए।
उन्होने कड़े लहजे में कहा कि देश के मुसलमान धैर्यवान हैं। सरकार को सांप्रदायिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। यह अहल-ए-सुन्नत बरेली शरीफ की आवाज है। सुन्नी सूफी मुसलमान की आवाज हैं। जो पैगंबर का अपमान बिल्कुल नहीं देख सकते है। इस अवसर पर नारा तकबीर और लब्बैक या रसूलल्लाह के नारे से पूरा माहौल गूंज उठा।