सामाजिक

गुजरात/त्रिपुरा जैसे ज़ुल्म व सितम मुसलमानों पर होते ही रहेंगे

लेख: मौलाना मोहम्मद सैफुल्लाह ख़ां अस्दक़ी
राष्ट्रीय अध्यक्ष: ग़ौसे आज़म फाउंडेशन

मुसलमानों ने सरकार से सवाल करना और अपना हक़ मांगना छोड़ दिया तो सरकार ने इन्हें कहीं का भी नहीं छोड़ा। आज हाय तौबा मचा रहे हैं।

मुसलमानों ने सिर्फ सरकार से ही अपना हक़ मांगना नहीं छोड़ा बल्कि क़ौम के तथाकथित ठेकेदारों से भी अपना हक़ नहीं मांगा। हक़ मांगना तो दूर की बात, कभी सवाल भी नहीं किया।

तथाकथित ठेकेदार (पीर, मौलवी, शहर क़ाज़ी, शहर मुफ्ती वग़ैरह) तो अपने आली शान बंगलों में मौज कर रहे हैं और हिन्द का मुसलमान हिन्द में आए दिन तरह तरह की परेशानियों/ मुसीबतों का सामना कर रहा है।

सरकार हो या क़ौम का ठेकेदार, दोनों से सवाल भी करना शुरू कर दो और हक़ भी मांगना। यह कोई बेअदबी नहीं है। बल्कि आपका हक़ है। क्योंकि हिन्द में मुसलमानों का दूर दूर तक कोई मसीहा नज़र नहीं आ रहा है।

दिल को सिर्फ तसल्ली देने से अब काम नहीं चलने वाला है बल्कि हम सब को कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा। अब भी न जागे तो गुजरात/ त्रिपुरा जैसे ज़ुल्म व सितम मुसलमानों पर होते ही रहेंगे।

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