महफिल-ए-मिलादुन्नबी का चौथा दिन
गोरखपुर। सोमवार को ‘महफिल-ए-मिलादुन्नबी’ के चौथे दिन बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर में मौलाना अली अहमद ने कहा कि पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और तमाम पैग़ंबर ज़िन्दा हैं। पैग़ंबर-ए-आज़म ने फरमाया है कि अल्लाह ने ज़मीन पर पैग़ंबरों के जिस्मों को खाना हराम फरमा दिया है, तो अल्लाह के पैग़ंबर ज़िन्दा हैं। उन्हें रिज्क़ दिया जाता है। सारी मखलूक अल्लाह की रज़ा चाहती है और अल्लाह पैग़ंबर-ए-आज़म की रज़ा चाहता है। पैग़ंबर-ए-आज़म की फरमाबरदारी अल्लाह की फरमाबरदारी है। पैग़ंबर-ए-आज़म अल्लाह की अता से अपने चाहने वालों का दरूदो सलाम सुनते हैं। फरियादियों की फरियाद भी सुनते हैं और अल्लाह की दी हुई ताकत से उनके दुख-दर्द दूर करते हैं। पैग़ंबर-ए-आज़म कयामत में गुनाहगार उम्मतियों की शफ़ाअत करेंगे। हमें पैग़ंबर-ए-आज़म पर कसरत से दरूदो सलाम का नज़राना पेश करना चाहिए।
हुमायूंपुर उत्तरी में भी हुई महफिल ईद मिलादुन्नबी
हुमायूंपुर उत्तरी में हुई महफिल-ए-मिलादुन्नबी में संचालन करते हुए हाफ़िज़ अज़ीम अहमद नूरी ने कहा कि पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया है कि जो साहिबे ईमान इस दुनिया में बच्चियों की खुशी-खुशी सही तालीमो तरबियत और सही ढंग से परवरिश करेगा उसे मैं जन्नत में लेकर जाऊंगा। पैग़ंबर-ए-आज़म ने चौदह सौ साल पहले पूरी दुनिया को तालीम हासिल करने, बेटी बचाओ व स्वच्छता का पैग़ाम दिया। इसी वजह से दीन-ए-इस्लाम में पाकी को आधा ईमान करार दिया गया है। क़ुरआन की पहली आयत का नुज़ूल लफ्ज़े ‘इक़रा’ से हुआ हैं यानी पढ़ो। मजदूरों के हक की आवाज़ सबसे पहले पैग़ंबर-ए-आज़म ने उठाई और पसीना सूखने से पहले मजदूरी देने का हुक्म दिया। विधवा से शादी करके औरतों का सम्मान बढ़ाया। औरतों को संपत्ति में अधिकार दिया। पत्थर खाकर, जुल्म सहकर भी दुआएं दी और अहिंसा का पैग़ाम दिया।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। महफिल में मो. कैफ़ रज़ा, रईस अनवर, मौलाना तफज़्ज़ुल हुसैन, मौलाना इम्तियाज़ अहमद, कारी अफ़ज़ल बरकाती, अली गज़नफर शाह अज़हरी, सैयद रफीक हसन, मो. ज़ैद, मो. फैज़, मो. आसिफ, मो. अरशद, मो. तैयब, तौसीफ खान, मो. लवी, अली कुरैशी, मो. रफीज, सैयद मारूफ आदि शामिल हुए।