गोरखपुर

अक़लीमा वारसी ने मुकम्मल किया क़ुरआन-ए-पाक

गोरखपुर। जाफरा बाजार निवासी इरफानुल्लाह और जीनत वारसी की 9 वर्षीय पुत्री अकलीमा वारसी ने मोहल्ले के ही एक मकतब में पढ़ाई करते हुए करीब डेढ़ साल में क़ुरआन-ए-पाक देखकर पूरा पढ़ लिया। इस मौके पर बच्ची को दुआओं व तोहफों से नवाज कर हौसला अफजाई की गई।

अकलीमा के पिता इरफानुल्लाह ने कहा कि यह हमारे लिए बहुत खुशी का मौका है। हम भविष्य में अपनी बेटी को और अच्छी दीनी तालीम दिलाने का इरादा रखते हैं। क़ुरआन-ए-पाक अल्लाह का कलाम और एक अजीम किताब है।

अक़लीमा की मां ज़ीनत वारसी ने कहा कि हमारे पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बच्चों को तालीम दिलाने के लिए प्रोत्साहित किया है। पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया है कि तुममें बेहतरीन शख्स वह है जो क़ुरआन-ए-पाक सीखे और सिखाए। हमारी बच्ची ने आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर नाजिल होने वाली किताब कुरआन-ए-पाक की मुकम्मल तिलावत कर ली है। इस मौके पर एक महफिल हुई। जिसमें अक़लीमा के बेहतर भविष्य के लिए खुसूसी दुआ की गई।

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